इंडिया न्यूज, मथुरा।
Lathmar Holi 2022 Preparation in Nandgaon : लठमार होली में लाडली जी मंदिर में नंदगांव के हुरियारों पर रसायन युक्त रंगों की फुहार नहीं छोड़ी जाती। इस दिन टेसू के फूलों से तैयार रंग में हुरियारों को सराबोर किया जाता है। लठमार होली की परंपरा बड़ी ही निराली है। बात हुरियारिनों की हो चाहे हुरियारों की, दोनों ही द्वापर काल परंपरा के अनुसार ही चलते हैं। सभी कृष्णकालीन परंपरा को जीवंत करते दिखाई पड़ते हैं। लठमार होली के दौरान वही खड़ी ब्रज भाषा में हुरियारिनों पर अपनी मधुर वाणी से रसिकों के पदों पर हुरियारे तीर छोड़ते हैं।
लठमार होली के दौरान होली खेलने में रंग और अबीर गुलाल भी वर्षा होती है। टेसू के फूलों से रंग तैयार करने में 10 दिन लग जाते हैं। टेसू के फूलों को पानी के साथ बड़े-बड़े ड्रमों में भिगोया जाता है। उसके बाद फूलों का रस निकाला जाता है। निकले रस में चूना मिला कर ड्रमों में भर दिया जाता है। टेसू इको-फ्रेंडली रंगों से विश्व प्रसिद्ध लठमार होली खेली जाती है। राधरानी मंदिर के सेवायतों ने बताया कि आज कल के जो रंग बाजार में मिलते हैं वो मिलावटी होते हैं।
श्रीजी मंदिर के सेवायत किशोरी गोस्वामी ने बताया कि इस रंग को बनाने के लिए दिल्ली से टेसू के 10 क्विंटल फूल मंगाए गए। इन फूलों को पानी में भिगो कर रखा जाता है। फूलों का रस निकाल कर छान लिया जाता है बाद में इस रंग को चूने में मिला कर ड्रमों में भर दिया जाता है। टेसू के फूल से बने इस रंग को लाडली जी मंदिर में ऊपर की मंजिलों पर रख दिया जाता है। इस रंग से आने वाले श्रद्धालुओं एवं नंदगांव के हुरियारों को सराबोर किया जाता है।
(Lathmar Holi 2022 Preparation in Nandgaon)