(Kuldevi of Malla kings, all sins are washed away by mere sight): यूपी (UP) के कुशीनगर (Kushinagar) में माँ कोटेश्वरी मंदिर (Maa Koteshwari Temple) मल्ल राजाओं की उद्धारक देवी के रूप में स्थित है। जानिए जंगल के बीच इस मंदिर का है एक अनोखा रहस्य।
नवरात्री के दिनों में माँ दुर्गा की आराधना की जाती है। इस नव दिनों में सभी भक्त स्वच्छ मन से माँ दुर्गा की आराधना करते है। इसी क्रम में शक्ति एवं आस्था के प्रमुख केंद्र के रूप में माँ कोटेश्वरी देवी मंदिर की गड़ना कुशीनगर के प्रमुख देवी मंदिरों में की जाती है। इस मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। माँ कोटेश्वरी को मल्ल राजाओं की उद्धारक देवी के रूप में भी जाना जाता है।
मानते है की अज्ञातवास के दौरान यहां पांडवों द्वारा भी माँ की आराधना करने की बात कही जाती है। श्रीलंका के बौद्ध धर्म ग्रन्थ दीपवंश में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है।
शारदीय एवं चैत्र नवरात्र के दौरान श्रद्धालु भक्तो का यहां तांता लगा रहता है। माँ कोटेश्वरी के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त माँ के दरबार मे सच्चे मन से आता है माँ उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है।
माँ कोटेश्वरी को खप्पर का प्रसाद प्रिय है भक्तो की मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त उन्हें खप्पर का प्रसाद चढाते है।
मल्ल राजाओं की कुलदेवी के रूप में विख्यात माँ कोटेश्वरी देवी की पूजा वैसे तो बारहोमास होती है लेकिन नवरात्र के दौरान यहां का नजारा कुछ और ही होता है। माँ के दर्शन के लिये स्थानीय लोगो के अलावा बहुत दूर दूर तक से श्रद्धालु यहाँ आते है और माँ के दरबार मे अपना शीश नवाते है।
प्राचीन कुकुत्था नदी के तट पर अवस्थित माँ का मंदिर पहले बेत के घने जंगल से घिरा हुआ था। जहां पगडंडियों के सहारे ही पहुँचा जा सकता था लेकिन मानव विकास के क्रम में जंगल कटते गये और रास्तो का निर्माण होता गया।
वर्तमान समय मे राज्य सरकारो के प्रयाश से पक्की सड़क का निर्माण हो गया है जिससे यहां पहुँचना सुगम हो गया है। माँ कोटेश्वरी का दर्शन करने परिवार सहित पहुँचे एक भक्त ने तो माँ के श्री चरणों मे सुंदर भजन गा कर माँ से आशीष की कामना की।
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