(On the occasion of Mauni Amavasya, Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati released Magh festival message): शनिवार को मौनी अमावस्या पर शंकराचार्य शिविर में नैष्ठिक ब्रह्मचर्य दीक्षा अनुष्ठान हुआ। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 4 बटुकों को ब्रह्मचर्य की दीक्षा दी।
शनिवार को मौनी अमावस्या के अवसर पर प्रयागराज के त्रिवेणी मार्ग स्थित शंकराचार्य शिविर में नैष्ठिक ब्रह्मचर्य दीक्षा अनुष्ठान किया गया। प्रयागराज के उत्तर में स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चार बटुकों को ब्रह्मचर्य की दीक्षा दी। सबसे पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उन चार बटुकों को प्रायश्चित रूपक (प्रायश्चित्त शास्त्रानुसार विहित वह कृत्य है जिसके करने से मनुष्य के पाप छूट जाते हैं।) कराया। तत्पश्चात क्षौर कर्म ( सिर के बाल काटने का काम ) कराया गया।
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दीक्षा के क्रम में बटुकों का वर्तमान नाम बदलकर नए नाम रखे। इसके तहत गोरखपुर के निवासी दुर्गेश तिवारी का नाम परमानंद ब्रह्मचारी, मध्य प्रदेश के बगासपुर निवासी घनश्याम गौतम का नाम मुक्तानंद ब्रह्मचारी, महेश चंद्र का नाम अभयानंद ब्रह्मचारी और राम कुमार का नाम बदलकर रामभवानंद ब्रह्मचारी रखा गया। जिसके बाद बटुकों ने संगम में डुबकी लगाया।
उसके बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती छत्तीसगढ़ के विलासपुर के लिए रवाना हो गए। विलासपुर जाने से पहले शंकराचार्य ने माघ पर्व संदेश जारी किया। इस संदेश के माध्यम से शंकराचार्य ने पहले प्रयागराज की महानता का बखान किया। उसके बाद उन्होंने पूज्य पुरुषों को अपमानजनक दृ़श्यों से देखने पर लगने वाले पाप से बचने की सीख दी। आगे कहा की पूज्य पुरुषों का कभी अपमान ने करे। ये हमारे लिए हमेशा से पूजनीय रहे है।