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धर्म: कब है Mauni Amavasya,जानें शुभ मुहुर्त और सही पूजा विधि

• LAST UPDATED : January 20, 2023

Mauni Amavshya : सनातन धर्म में माघ महीने में पड़ने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस साल मौनी आमवस्या का पर्व 21 जनवरी को पड़ रहा है।ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहें है कि वो क्या उपाय है जो कि इस अवसर पर करने चाहिए वही मौनी आमवस्या का क्या खास महत्व है। दरअसल मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करने से व्यक्ति की मनचाही मुराद पूरी हो जाती है।मौनी आमवस्या के दिन दान करने का क्या महत्व है। आइए जानते है आखिर क्यों मौनी आमवस्या के दिन लोग मौन धारण करते हैं।

आपको बता दें कि इस बार मौनी आमवस्या का पर्व 21 जनवरी को पड़ रहा है। मौनी आमवस्या का पर्व सुबह 6 बजकर 19 मिनट से शुरु होगा।जो कि 22 जनवरी 2023 की रात 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होता है।काफी सारे लोग इस अवसर पर व्रत रखते हैं। कई लोग इस अवसर पर मौन भी धारण करते हैं।

क्या है मौनी अमावस्या की पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें। ये काम करने के बाद इसके बाद गंगा नदी में या आसपास किसी नदी में स्नान करें। अगर नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस समय स्न्नान करने के साथ ही ‘गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु ||’ का जाप करें। स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें। इस दिन मौन रहने का अपना एक अलग महत्व है इस कारण त्योहार के दिन मौन रहने का संकल्प करें। त्योहार के दिन तुलसी के पौधे की 108 बार परिक्रमा करें।

धर्म के जानकारों का मानना है कि इस दिन स्नान करने के बाद पूजा-पाठ कर गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।मौनी अमावस्या पर वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग का दान करना शुभ माना जाता है।इस दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है गाय का दान संभव हो तो गउ दान जरुर करें।माघ महीने में पड़ने वाले मौनी आमवस्या के दि पितरों का स्मरण करें। पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

क्या है मौन रखने कै महत्व

माघ के महीने में पड़ने वाली मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर व्रत रखना फलदाई होता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य को आत्मा तो चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। मन चंद्रमा ही तरह चंचल होता है और अक्सर साधना-आराधना के समय भटक जाता है। ऐसे में कोई भी साधना या पूजा-अर्चना को निर्विघ्न रूप से पूरा करने के लिए मन को नियंत्रित रखना आवश्यक है इसलिए मन पर नियंत्रण पाने के लिए माघ अमावस्या के दिन मौन रखने की सलाह दी जाती है।

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