India News (इंडिया न्यूज़), G-20 Summit : इस बार भारत के द्वारा जी-20 (G-20) की अध्यक्षता की जा रही है। इस अहम बैठक के लिए सरकार की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और इसका आयोजन 9-10 सितंबर 2023 को राजधानी दिल्ली (G-20 Summit In Delhi) में भारत की मेजबानी में होने वाला है।
इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित कई देशों के नेता अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाले हैं। ऐसे में देश में भारत और इंडिया को लेकर विवाद शुरू हो गया है ।
दरअसल G20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण कार्डों पर ‘इंडिया’ नहीं बल्कि ‘भारत’ लिखे जानें पर विपक्ष सरकार पर जमकर हमल बल रही है। इस पूरे विवाद पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर न्यूज एजेंसी ANI अपने विचार सांझा किए।
विदेश मंत्री ने दिया जवाब
G20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण कार्डों पर ‘इंडिया’ नहीं बल्कि ‘भारत’ का उल्लेख किए जाने को लेकर चल रहे विवाद पर ANI से बातचीत में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा,”इंडिया दैट इज भारत’ और यह संविधान में है। मैं हर किसी को इसे (संविधान) पढ़ने के लिए कहूंगा।
#WATCH 'इंडिया दैट इज भारत' और यह संविधान में है। मैं हर किसी को इसे (संविधान) पढ़ने के लिए कहूंगा। जब आप भारत कहते हैं, तो एक अर्थ, एक समझ और एक अनुमान आता है और मुझे लगता है कि यही हमारे संविधान में भी परिलक्षित है: G20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण कार्डों पर 'इंडिया' नहीं बल्कि… pic.twitter.com/7Tsp2dfT2W
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 6, 2023
जब आप भारत कहते हैं, तो एक अर्थ, एक समझ और एक अनुमान आता है और मुझे लगता है कि यही हमारे संविधान में भी परिलक्षित है।”
इस G-20 शिखर सम्मेलन के लिए सरकार द्वारा किए गए इंतजाम की विपक्ष द्वारा की जा रही आलोचना पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा,”अगर किसी को लगता है कि वे लुटियंस दिल्ली या विज्ञान भवन में अधिक सुविधाजनक महसूस कर रहे थे तो यह उनका विशेषाधिकार था।
वही उनकी दुनिया थी और तब शिखर सम्मेलन की बैठकें ऐसे समय हुई जहां देश का प्रभाव संभवतः विज्ञान भवन में या उसके 2 किलोमीटर (लुटियंस दिल्ली) तक में रहा हो।”
G-20 राष्ट्रीय प्रयास के रूप में माना जाना चाहिए
उन्होंने आगे कहा,”यह एक अलग युग है, यह अलग सरकार है और यह एक अलग विचार प्रक्रिया है। प्रधानमंत्री ने महसूस किया और हमने उस दिशा में काम किया है,
जिसमें G-20 ऐसी चीज है जिसे एक राष्ट्रीय प्रयास के रूप में माना जाना चाहिए… जिन लोगों को लगता है कि हमें अभी भी 1983 में फंसे रहना चाहिए उनका 1983 में फंसे रहने का स्वागत है।”