इंडिया न्यूज(India News),Uttarakhand: उत्तराखंड में इन दिनों धामी सरकार अपने एक्शन मोड पर है। जिसके चलते लगातार सरकार 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कई बड़े बदलाव करने के मूड में है। बता दें, धामी सरकार ने राज्य योजना आयोग को समाप्त कर दिया है। जिसके बाद अब सशक्त उत्तराखंड @2025 के लक्ष्य को साधने के लिए प्रदेश में नीति आयोग की तर्ज पर स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (सेतु) के गठन को राज्यपाल द्वारा भी मंजूरी मिल गई है। आज सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसको लेकर आदेश जारी कर दिए। इसके साथ ही सेतु प्रदेश सरकार की नीति व नियोजन में थिंक टैंक की तरह काम करेगा।
वहीं, सेतु के संगठनात्मक ढांचे के अनुसार मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष बनाया जाएगा। अगर वह नियोजन मंत्री हैं, तो वह उपाध्यक्ष पद पर किसी और मंत्री को नामित करेंगे। इसके साथ ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुक्त बाजार से लिया जाएगा। यह नामी अर्थशास्त्री या सेवानिवृत्त नौकरशाह भी हो सकते हैं। वहीं सभी मंत्रियों को इसका सदस्य बनाया जाएगा। अगर बात सेतु के केंद्र की करें तो इसके तहत तीन केंद्र होंगे और प्रत्येक में दो-दो सलाहकार होंगे। जो कि आर्थिक एवं सामाजिक विकास केंद्र में आर्थिकी एवं रोजगार सलाहकार, लोक नीति एवं सुशासन केंद्र में लोक नीति एवं सुशासन सलाहकार व शहरी व अर्द्ध शहरी विकास सलाहकार व साक्ष्य आधारित योजना केंद्र में सांख्यिकी एवं डाटा व अनुश्रवण व मूल्यांकन सलाहकार होंगे।
राज्य योजना आयोग (State Planning Commission) का काम भारतीय राज्यों में राज्य सरकार के अधीन सरकारी योजनाओं और विकास कार्यक्रमों के नियोजन, अनुगमन, और मूल्यांकन से संबंधित होता है। यह एक संयुक्त नियंत्रण संस्थान होता है, जिसमें राज्य सरकार के प्रमुख, मंत्रिपरिषद और अन्य सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं।
योजना तैयार करना: राज्य योजना आयोग का मुख्य काम विभिन्न सेक्टरों में विकास के लिए योजनाओं को तैयार करना होता है। यहां विभिन्न समस्याओं का अध्ययन करते हुए विकास के लिए योजनाएं तैयार की जाती हैं जिनसे समाज और अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके।
विकास कार्यक्रमों का अनुगमन: योजना आयोग के अधीन स्थित विकास कार्यक्रमों के अनुगमन और मूल्यांकन के लिए निरीक्षण और परीक्षण का भी जिम्मा होता है। इससे योजनाओं के लाभ और प्रभाव को सुनिश्चित किया जाता है और उन्हें समय-समय पर संशोधित और अपडेट किया जा सकता है।
बजट नियोजन और मूल्यांकन: योजना आयोग का एक महत्वपूर्ण काम है राज्य सरकार के बजट नियोजन का मूल्यांकन करना और उन निधियों का अनुमान लगाना जो विभिन्न विकास कार्यक्रमों के लिए आवंटित किए गए हैं। इससे योजनाओं के लिए आवंटित बजट की उचितता और प्रभावितता का मूल्यांकन किया जा सकता है।
सरकारी नीतियों के प्रसार: योजना आयोग राज्य सरकार की नीतियों को लागू करने के लिए सिफारिशें और सलाह देता है। यहां विभिन्न विषयों पर राज्य सरकार के मनमाने या नीति-विरोधी फैसले से बचने के लिए व्यावसायिक तथा आवश्यक नीतियों का प्रसार किया जाता है।
विद्युत योजनाओं का मूल्यांकन: राज्य योजना आयोग के तहत विद्युत योजनाओं का मूल्यांकन भी किया जाता है। यह विद्युत योजनाओं के लिए बजट नियोजन और समय-समय पर सुधार करने के लिए भी जिम्मेदार होता है।