Friday, July 5, 2024
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Hamirpur : परंपरागत खेती छोड़कर किसान नई तकनीकी से कर रहे बागबानी, कमा रहे करोड़ो, सीएम योगी आदित्यनाथ ने की तारीफ़

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(Leaving traditional farming, farmers are doing horticulture with new technology): यूपी (UP) के हमीरपुर (Hamirpur) के कुछ किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़ कर ज़्यादा मुनाफा देने वाली खेती शुरू की है।

  • परंपरागत खेती छोड़ कमा रहे ज़्यादा मुनाफा
  • तीन महीने में हो रहा अच्छा मुनाफा
  • पॉली हाउस लगा कर रहे खेती
  • गुरलीन चावला ने की थी शुरुआत

परंपरागत खेती छोड़ कमा रहे ज़्यादा मुनाफा

यूपी के हमीरपुर के कुछ किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़ कर ज़्यादा मुनाफा देने वाली खेती शुरू की है। यहाँ सात किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती करनी शुरू की थी, जिनकी मेहनत रंग लाने लगी है।

तीन महीने में ही स्ट्राबेरी के पौधों में फल दिखाई देने लगे हैं, जिसको देख कर किसान खुश हैं और दुसरे किसानों को भी परंपरागत खेती से अलग हट कर कुछ नया करने की सलाह दे रहे हैं।

तीन महीने में हो रहा अच्छा मुनाफा

हमीरपुर में स्ट्राबेरी की खेती करने वाला ऐसा ही एक किसान मुस्करा का है, इसमें बताया की अभी तक वोह परंपरागत खेती गेंहू चना मटर मसूर सरसों की खेती करता रहा है, लेकिन इस साल उसके साथ 6 किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की थी।

जिसकी फसल अब तैयार हो चुकी है और पौध में फल लगे हुए हैं। किसान मिथुन राजूत ने बताया की उसने इसकी खेती ऑर्गेनिक तरीके से की है, फसल देख कर उसे लगता है की परंपरागत खेती से ज़्यादा मुनाफा उसे इसमें होगा।

पॉली हाउस लगा कर रहे खेती

स्ट्राबेरी की खेती वैसे तो ठंढी जलवायु में होती रही है, इसकी पैदावार प्रायः कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में होती रही है।

लेकिन कुछ सालों से इसकी खेती का प्रेक्टिकल बुन्देलखण्ड इलाके में चल रहा है, जिसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिल गई है, इस इलाके के कुछ किसान पॉली हाउस लगा कर इसकी खेती करते रहे हैं, लेकिन अब इसे खुले में भी बोना शुरू कर दिया है।

गुरलीन चावला ने की थी शुरुआत

बुन्देलखण्ड इलाके में सिंचाई का उचित बंदोबस्त ना होने और मौसम गरम रहने की वजह से इस इलाके का किसान परंपरागत खेती गेंहू चना मटर मसूर की ही खेती करता चला आया है, लेकिन अब कुछ किसानों ने हिम्मत जुटाते हुए कुछ अलग करने की ठानी है।

जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा दिखाई दे रहा है। बुन्देलखण्ड इलाके में इसकी शुरुआत 2021 में झांसी की रहने वाली गुरलीन चावला ने की थी। जिसकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तारीफ़ की थी।

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