India News (इंडिया न्यूज़), Health Tip : आयरन की कमी आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है लेकिन अगर आप ज्यादा मात्रा में ऐसे फूड्स ले रहे हैं जो आपके शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ा रहे हैं। तो ध्यान दें कि जरूरत से ज्यादा आयरन की मात्रा आपके शरीर को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। दूसरे न्यूट्रिशन की तरह ही आयरन भी हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है।
आयरन ब्लड में हीमोग्लोबिन का जरूरी हिस्सा है जो शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई में मदद करता है। बॉडी पार्ट्स को ठीक से काम करने के लिए आयरन बेहद जरूरी है। लेकिन ज्यादा मात्रा में आयरन बॉडी के लिए टॉक्सिक हो सकता है।
सीडन नाम का हार्मोन आयरन को रेगुलेट करता है और बॉडी में लेवल कंट्रोल करके रखता है। लेकिन जब हेप्सीडिन का लेवल बढ़ जाता है तो आयरन अब्जार्ब होने की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में आयरन अधिक मात्रा में स्टोर होने लगता है। ऐसे ही जब हेप्सीडिन की मात्रा कम हो जाती है तो शरीर में आयरन का लेवल शरीर में कम हो जाता है। सामान्यतौर पर ये हार्मोंस सही काम करता है। लेकिन कुछ डिसऑर्डर की वजह से हेप्सीडिन का प्रोडक्शन बढ़ता है और शरीर में आयरन ज्यादा होने लगता है।
•शरीर में ज्यादा मात्रा में आयरन को हेमोक्रोमेटोसिस कहते हैं। जिसमे बॉडी ऑर्गंस और टिश्यू में आयरन बनने लगता है।
•शरीर में अचानक से आयरन का लेवल बढ़ जाने से सेल्स यानी कोशिकाएं डैमेज होने लग जाती हैं। साथ ही आयरन की अत्यधिक मात्रा ब्रेन को डैमेज करने लगती है।
•वहीं जरूरत से ज्यादा आयरन सप्लीमेंट्स लेने की वजह से डाइजेस्टिव प्रॉब्लम होने लगती है। खासतौर पर बच्चों में ये ज्यादा देखा गया है।
•आयरन की ज्यादा मात्रा इंफेक्शन का खतरा बढ़ा देती है। इम्यून सिस्टम आयरन को हार्मफुल बैक्टीरिया को मारने के लिए यूज करता है। लेकिन जब शरीर में आयरन की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो वह उल्टा असर करता है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ा देता है।
•आयरन की अधिक मात्रा की वजह से डायबिटीज आर्थराइटिस, हार्ट फेलियर, लीवर और कैंसर जैसी प्रॉब्लम होने लगती हैं।
•स्टडीज में पता चला है कि रेड मीट और आयरन सप्लीमेंट्स की ज्यादा मात्रा की वजह से शरीर में कैंसर काजिंग एन- निट्रोसो कंपाउड पाचन तंत्र में बनने लगता हैं। जिसके कारण कोलन कैंसर का खतरा रहता है
शरीर में आयरन की मात्रा अधिक हो जाने पर इसे कम करने का कोई तरीका नही है। बस शरीर से अधिक मात्रा में खून को निकालवा देने से ये समस्या खत्म हो सकती है। जो लोग लगातार ब्लड डोनेट करते हैं, उन्हें हेमोक्रोमेटोसिस का खतरा कम रहता है।