Agra News: झूठे वादे करके 1.25 लाख पेड़ों पर चलाई आरी, बदले में 15 लाख से अधिक रोपे जाने थे पौधे जो नहीं लगे

India News (इंडिया न्यूज़),Rinke Upadhyay, Agra News: ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) में एक दशक के अंदर 1.25 लाख से अधिक पेड़ विकास कार्यों की भेंट चढ़ गए। एक्सप्रेस-वे, एनएच, इनर रिंग रोड, रेलवे परियोजना, गंगाजल, मेट्रो, सीओडी, कैंटोमेंट, टूरिज्म, लैदर पार्क और चौड़ीकरण के नाम पर जमकर पेड़ों पर आरी चली है। विभागों ने झूठे वादे करके पेड़ काटे हैं। जबकि, बदले में लगने वाले 15 लाख पौधों का रोपण भूल गए हैं। यही कारण है कि आगरा का वन क्षेत्र बीते चार साल से स्थिर है। जबकि, वन विभाग पिछले पांच साल में 1.82 करोड़ पौधे रोप चुका है। इस साल भी 48 लाख पौधे रोपने की तैयारी है। ताजनगरी में 13 दिसंबर-2010 में यमुना एक्सप्रेस-वे ने 5,025 पेड़ काटने की अनुमति ली थी। 10 अक्तूबर-2012 को डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर के नाम पर 4,314 पेड़ काटे गए। उसके बाद 24 अप्रैल-2015 को सीओडी ने 444 पेड़ काटने की अनुमति ली।

2010 से 2022 तक 1.25 लाख से अधिक पेड़ काटने की ली अनुमति

इसी दिन कैंटोमेंट एरिया में 718 पेड़ काटने की अनुमति हुई। उसके बाद लखनऊ एक्सप्रेस-वे 281 पेड़, एनएचएआई 3,673, बिजली 493, गंगाजल प्रोजेक्ट 354, टूरिज्म विभाग 15, ताजमहल की पार्किंग 69, धांधूपुरा में एसटीपी प्लांट के लिए 704 पेड़ों सहित लगातार विकास कार्यों के नाम पर साल 2010 से 2022 तक 1.25 लाख से अधिक पेड़ काटने की अनुमति ली गई। टीटीजेड क्षेत्र के आगरा, मथुरा सहित चंबल के क्षेत्रों में सर्वाधिक पेड़ काटे गए हैं। इसके एवज में 15 लाख पौधे रोपे जाने चाहिए थे। लेकिन, इनके रोपण पर ध्यान नहीं दिया है। स्थिति ये है कि शहर के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने आरटीआई में इसका जवाब भी मांगा है कि काटे गए पेड़ों के एवज में कितने पौधे कहां और कब रोपे गए। रोपे गए पौधों में से कितने बचे हैं। इसका उत्तर भी विभागीय अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। हैरत की बात है कि टीटीजेड में नियमानुसार वनावरण 33 फीसदी होना चाहिए। लेकिन, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार साल 2011 में हरियाली 6.84 फीसदी थी, जो साल 2021 की रिपोर्ट में गिरकर 5.5 फीसदी रह गई है।

1.82 करोड़ पौधों का कवच न बढ़ा पाया वन क्षेत्र

इंडिया न्यूज़ संवाददाता रिंकी उपाध्याय के मुताबिक प्रदेश सरकार के पौधरोपण अभियान के तहत वन विभाग ने बीते पांच सालों में 26 प्रशासनिक विभागों की सहायता से जमकर पौधरोपण किया है। साल 2018 में 20 लाख, साल 2019 में 28 लाख, साल 2020 में 38 लाख, साल 2021 में 45 लाख और साल 2022 में 51 लाख पौधे जनपद में रोपे गए हैं। इसके बाद भी बीते 10 सालों में वन क्षेत्र 0.34 फीसदी घट गया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में आगरा का वन क्षेत्र 262.62 वर्ग किलोमीटर था। साल 2021 में भी वन क्षेत्र यही है। जीपीएस और आधुनिक सेटेलाइट इमेज के आधार पर किए गए सर्वे में पूरे ताज ट्रिपेजियम जोन में वन क्षेत्र नहीं बढ़ा है। केवल झाड़ियों की संख्या में 0.52 फीसदी का इजाफा हुआ है।

वेटलैंड व जंगल की कमी से जलवायु पर असर

जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के सदस्य आगरा के पर्यावरण से संबंधित वन आवरण, तापमान, भूगर्भीय जल, वेटलैंड्स, जल प्रदूषण आदि के 20 वर्ष के आंकड़ों का अध्ययन कर रहे हैं। इसमें स्पष्ट हुआ है कि आगरा में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव दिखने लगा है। आगरा में सर्दियों के तापमान में औसत एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। साल 2010 से 2014 में औसत तापमान 11 डिग्री सेल्सियस था, जो साल 2016 से 2022 तक औसत तापमान 12 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया है। सर्दियों में न्यूनतम तापमान भी तीन डिग्री सेल्सियस से बढ़कर छह डिग्री सेल्सियस हो गया है। वहीं, बारिश भी साल 2010 में 440.5 एमएम और 2021 में 1626 एमएम हुई है। इसके बाद भी शहरी क्षेत्र के अमरपुरा में 16.70 मीटर, कमला नगर में 8.55 मीटर, छलेसर में 8.49 मीटर नीचे गया है। शहरी क्षेत्र में 10 सेंटीमीटर से लेकर एक मीटर तक की गिरावट है। वहीं, देहात के शमसाबाद में एक मीटर प्रतिवर्ष, फतेहाबाद में 10 वर्षों में छह मीटर, सैंया ब्लॉक में 11.50 मीटर तक पानी नीचे गिरा है। अछनेरा में सर्वाधिक नहरें होने के कारण जलस्तर 54 सेंटीमीटर नीचे खिसका है।

आगरा में 40 फीसदी हेविटाट नष्ट हुए

पक्षी वैज्ञानिक डॉ. केपी सिंह के मुताबिक आगरा का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4,041 वर्ग किलोमीटर है। यहां का वन क्षेत्र 1,313 वर्ग किलोमीटर का होना चाहिए। लेकिन, वन क्षेत्र केवल 262.62 वर्ग किलोमीटर ही है। इस वन क्षेत्र में भी विलायती बबूल बड़ी संख्या में हैं। परिणाम स्वरूप विशुद्ध जंगल के हेविटाट में कमी के कारण 40 फीसदी तक हेविटाट नष्ट हुए हैं। उन्होंने बताया कि जिले का कुल आर्द्रभूमि क्षेत्रफल 10,502 हेक्टेयर है। 2.25 हेक्टेयर से छोटे 1,210 वेटलैंड चिह्नित कर उनका सीमांकन किया है। जिले के कुल वेटलैंड क्षेत्रफल में लगभग 79 प्रतिशत क्षेत्र नदी व इनकी धाराओं से बना है, जिनकी संख्या 94 है। दूसरे स्थान पर 38 की संख्या के साथ जलाशय और बैराज हैं। वहीं, जलीय वनस्पति वाला क्षेत्र मानसून से पूर्व 481 और मानसून के बाद 532 हेक्टेयर है। ये वो स्थान है, जहां जलीय वनस्पति पर निर्भर वन्यजीव रहते हैं।

बड़े आकार के प्रवासी पक्षियों में गिरावट

लंबी दूरी तय करके आगरा आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या में उतार-चढ़ाव रिकार्ड किया जा रहा है। बड़े आकार के प्रवासी पक्षियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। बड़े आकार के प्रवासी पक्षियों में पेलिकन और ग्रेटर फ्लेमिंगो ही आगरा आते हैं। इनकी संख्या में भी कमी रिकार्ड की जा रही है। साल 2022 में पेलिकन 425 आए, जो साल 2023 में महज 26 रिकार्ड किए। छोटे आकार के प्रवासी पक्षी कॉमन टील, नोर्दन शोलवर, नोर्दन पिनटेल, कॉमन सेंडपाइपर, लिटिल स्टिंट, टैमिनिक स्टिंट, सेंडपाइपर आदि प्रजातियां आ रही हैं।

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Monu kumar

मोनू कुमार ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत India Ahead News Channel (इससे पहले ये यूट्यूब पोर्टल Jantalk और mdvlogs का भी हिस्सा रहे हैं) से की। फिलहाल ये अभी हमारे ITV Network (India News) का हिस्सा हैं।

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