इंडिया न्यूज, लखनऊ।
Ayodhya Land Purchase Case : योगी सरकार ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद अयोध्या में अफसरों, नेताओं और उनके रिश्तेदारों द्वारा बड़े पैमाने पर खरीदी गई जमीन की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विशेष सचिव राजस्व राधेश्याम मिश्रा को जांच सौंपी गई है। मिश्रा को पांच दिन में जांच पूरी करके रिपोर्ट देने को कहा गया है। (Ayodhya Land Purchase Case)
राम जन्मभूमि मंदिर पर शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद अयोध्या में अधिकारियों-नेताओं व उनके रिश्तेदारों ने बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदी हैं। करोड़ों की ये जमीनें औने-पौने दाम पर खरीदी गई हैं। इसका खुलासा होने के बाद योगी सरकार ने इसकी जांच कराने का फैसला किया है।
राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के तुरंत बाद अयोध्या की जमीन भी सोना उगलने लगी। जिस जमीन को कोई पूछने वाला नहीं था उसे अयोध्या में तैनात रहे अधिकारियों और स्थानीय नेताओं ने औने-पौने खरीद लिया। अब इसी जमीन पर नव्य अयोध्या विकसित की जानी है। (Ayodhya Land Purchase Case)
स्पष्ट है कि जब यह नगरी वैश्विक पर्यटन का केंद्र बनेगी तो कौड़ियों के भाव खरीद गई यही जमीन मुंह मांगी कीमत दिलाएगी। यह वही अयोध्या है जहां फैसला आने के पहले कोई अफसर जाना भी पसंद नहीं करता था। इस बीच कहा जा रहा है अभी कई अफसर और जमीन का सौदा करने के लिए लाइन में हैं।
सुप्रीम कोर्ट से नौ नवंबर 2019 को राममंदिर के हक में फैसला आया। इस आदेश के बाद व राममंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही अयोध्या की जमीनों के दाम आसमान छूने लगे। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भी करीब 70 एकड़ जमीन रामजन्मभूमि परिसर के विस्तार के क्रम में खरीदी है। जमीन खरीदने को लेकर ट्रस्ट विवाद में भी घिरा था। इसके बाद तो जैसे जमीन खरीद के लिए होड़ सी लग गई। (Ayodhya Land Purchase Case)
जमीन खरीद में अयोध्या में तैनात अफसरों व नेताओं की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता भी सामने आने लगी है। अयोध्या में पिछले दो वर्षों में तैनात रहे भारतीय व प्रांतीय सेवा के अफसरों और नेताओं ने अपने रिश्तेदारों, परिजनों के नाम पर जमीन खरीदी है।
(Ayodhya Land Purchase Case)
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