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समावेशी हिंद-प्रशांत क्वाड का साझा लक्ष्य, जानें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा

• LAST UPDATED : May 24, 2022

इंडिया न्यूज, टोक्यो (pm modi at quad tokyo summit 2022)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान कहा कि संगठन ने कम समय में दुनिया में अहम जगह बना ली है। क्वाड का दायरा व्यापक हो गया है, इसका रूप प्रभावी है। क्वाड के माध्यम व हमारे आपसी सहयोग से, एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी एशिया-प्रशांत क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि हमारा आपसी विश्वास और हमारा संकल्प लोकतांत्रिक शक्तियों को नई ऊर्जा और उत्साह दे रहा है। कोविड महामारी के कारण उत्पन्न प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद हमने वैक्सीन वितरण, आपूर्ति श्रृंखला का लचीला बनाने, जलवायु और आपदा प्रबंधन, आर्थिक सहयोग तथा अन्य क्षेत्रों के लिए अपना समन्वय बढ़ाया है।

ऑस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित पीएम को बधाई दी

प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरुआत में सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस को बधाई और शुभकामनाएं दीं। मोदी ने कहा कि पीएम पद की शपथ लेने के 24 घंटे बाद ही हमारे बीच आपकी उपस्थिति क्वाड दोस्ती की ताकत और इसके प्रति आपकी वचनबद्धता को प्रकट करती है। टोक्यो क्वाड बैठक में पीएम मोदी के अलावा संगठन के सदस्य देशों के चारों शीर्ष नेता-अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के एंथनी अल्बनीस, जापान के फुमिओ किशिदा भाग ले रहे हैं।

क्षेत्र की शांति व स्थिरता के लिए करना है काफी काम : बाइडन

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने संबोधन में कहा कि क्वाड को हिंद प्रशांत क्षेत्र की शांति व स्थिरता के लिए आगे काफी काम करना है। महामारी से मुकाबले के बाद जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटना है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका एक मजबूत, स्थिर और स्थायी साझेदार होगा। हम इस क्षेत्र की ताकत हैं। बाइडन ने क्वाड के मंच से रूस को सख्त संदेश देते हुए कहा कि जब रूस युद्ध जारी रखता है, हम भागीदार बने रहेंगे और विश्व के जवाब का नेतृत्व करेंगे। साझा मूल्यों और दृष्टिकोण के लिए हम साथ हैं।

यूक्रेन पर आक्रमण यूएन चार्टर के खिलाफ : किशिदा

जापान के पीएम किशिदा ने कहा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित सिद्धांतों के खिलाफ व उन्हें चुनौती दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें आसियान, दक्षिण एशिया के साथ-साथ प्रशांत क्षेत्र के द्वीप देशों की आवाज पर भी गौर करना चाहिए, ताकि सहयोग को और आगे बढ़ाया जा सके।

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