अजीत मैंदोला, नई दिल्ली।
Controversy over Uttarakhand : उत्तराखंड में कौन सरकार बनाएगा, इसका पता 10 मार्च को चलेगा। लेकिन मतदान के बाद दिख रहे हालात बीजेपी के लिये शुभ संकेत नही हैं। कांग्रेस में भी अंदरखाने बेचैनी है। मतलब दोनों दल भले ही बहुमत से ज्यादा सीटों का दावा तो कर रहे हों, लेकिन 10 मार्च को आने वाला परिणाम चौंका भी सकता है। मतदाता का मूड राजनीतिक पंडित भी नही भांप पाये हैं। (Controversy over Uttarakhand)
दो बातें चल रही हैं। पहली अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी की रैलियां मतदाताओं पर असर नही डाल पाई तो बीजेपी के लिये अच्छी खबर नहीं है। उत्तराखंड को लेकर दुविधा की स्थिति पहली बार नहीं बनी है। 2012 में भी यही स्थिति बनी थी। मतदाता ने तब भी कोई उत्साह नही दिखाया था। जब परिणाम आये तो दोनों दल बहुमत से चूक गए थे। जुगाड़ से कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। दो मुख्यमंत्री बदले थे। बाद में सरकार ने जैसे-तैसे कार्यकाल पूरा किया था, जाते-जाते कांग्रेस में बड़ी टूट हुई थी।
2012 और इस बार के हालात लगभग एक जैसे ही दिख रहे हैं। उस समय तब के सीएम भुवन चन्द्र खंडूरी की अगुवाई मे बीजेपी मजबूत दिख रही थी। लग रहा था वापसी कर ही लेगी। लेकिन खंडूरी के खुद चुनाव हारने से बीजेपी केवल एक सीट से कांग्रेस से पिछड़ गई थी। बीजेपी 32 पर अटक गई थी। कांग्रेस ने 33 का आंकड़ा छूकर निर्दलीयों और बीएसपी के साथ जुगाड़ कर सरकार बनाई। (Controversy over Uttarakhand)
लेकिन 2012 और आज के हालात में बहुत बड़ा अंतर था। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। बीजेपी में आज की तरह मजबूत केंद्रीय नेतृत्व नहीं था। आज दोनों दलों की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। कांग्रेस में अब तक का सबसे कमजोर केंद्रीय नेतृत्व है। जबकि बीजेपी का आज का केंद्रीय नेतृत्व इतना ताकतवर है कि एक दो सीटों के अंतर को चुटकियों में पाट सकता है। जुगाड़ की स्थिति बनने पर बीजेपी बाजी मार जाएगी।
कांग्रेसी खुलकर तो 44 से 45 का दावा कर रहे हैं। लेकिन अंदरखाने सहमे हुये है। इसमें कोई दो राय नही है कि कांग्रेस खुद इस स्थिति के लिये जिम्मेदार है। नेताओं के आपसी झगड़े और भीतरघात ने यह हालात पैदा किये। अगर कांग्रेस दावे के आंकड़े से 7 से 8 सीट कम हुई तो फिर सरकार नहीं बनेगी, आशंका जताई जा रही है। (Controversy over Uttarakhand)
हालांकि कांग्रेस नेता हरीश रावत तो ऐसा माहौल बनाने में जुट गए हैं कि वह सीएम बनने जा रहे हैं। बनने पर क्या-क्या करेंगे। उनका ऐसा करना जरूरी भी है जिससे पार्टी में उनका विरोधी खेमा दबाव में रहे। अगर दावे के हिसाब से बहुमत आता है तो कांग्रेस में सीएम की कुर्सी के लिये घमासान मचना तय है। कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर इसलिये भी भरोसा बढ़ा है कि बीजेपी में झगड़े सामने आने लगे हैं।
लक्सर के विधायक संजय गुप्ता ने परिणाम आने से पहले ही अपनी पार्टी के अध्य्क्ष मदन कौशिक पर हमला बोल उन्हें हार के लिये जिम्मेदार ठहरा दिया।पार्टी के लिये बड़ी शर्मिदगी हो गई। जांच बिठा मामले को शांत करने की कोशिश की गई। बीजेपी में भी भीतरघात की बहुत खबरें आ रही हैं। कांग्रेस की तरह बीजेपी में भी नेता एक दूसरे को हराने की जुगत में लगे थे। बीजेपी में भी इस बात को लेकर चिंता है। (Controversy over Uttarakhand)
हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बहुमत को लेकर निश्चिन्त हैं।उनका भी दावा 45 से ऊपर का है। 14 फरवरी को हुये मतदान के बाद यह बात भी सामने आ रही है कि महिलाओं ने बड़ी संख्या में बीजेपी को वोट किया है। दूसरा चार धाम ऑल वेदर रोड और रेल परियोजना ने मतदाता को दुविधा में डाला है। उसकी दुविधा इस बात को लेकर थी कि बीजेपी के हारने से चल रहा विकास कार्य कहीं ठप्प न हो जाये। इससे गढ़वाल में बीजेपी को लाभ हो सकता है।
(Controversy over Uttarakhand)
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