Electricity Worker Strike: प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का मामले में अब कोर्ट ने टिप्पणी की है। हाईकोर्ट नें इस मामले में सरकार से सवाल किया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर उन बिजली विभाग के कर्मचारियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई जिन्होंने इस हड़ताल में हिस्सा लिया था। कोर्ट का कहना है कि लोगों ती जान की बाजी लगाकर कोई भी अपनी मांगो को नहीं रख सकता है। इस विषय पर विभाग समेत सरकार को सोचना चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एस। डी। सिंह की पीठ ने अपर महाधिवक्ता से दोषी कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा।
कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि लोगों के जीवन की कीमत पर मांगें नहीं की जा सकती हैं और राज्य सरकार से इस हड़ताल से हुए राजस्व और अन्य नुकसान के बारे में बताने को कहा।कोर्ट का कहना है कि भले ही हड़ताल खत्म हो गई है लेकिन ये एक गंभीर मामला है और इसे आसानी से नही छोड़ा जा सकता है। कोर्ट का कहना है कि ये मामला सीधे तौर पर लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है।
बिजली विभाग के कर्मचारी गुरुवार रात से तीन दिन के हड़ताल पर थे और उनके नेताओं एवं राज्य के ऊर्जा मंत्री ए। के। शर्मा के बीच कई दौर की वार्ता के बाद हड़ताल खत्म हो गई। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने 16 मार्च को रात 10 बजे से अपनी हड़ताल शुरू की थी और रविवार को दिन में करीब तीन बजे उन्होंने हड़ताल खत्म की।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आयोजक शैलेंद्र दुबे ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) के निर्देशों का सम्मान करते हुए, ऊर्जा मंत्री के साथ सकारात्मक बातचीत और उच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए हमने व्यापक जनहित में 72 घंटे की अपनी सांकेतिक हड़ताल को एक दिन पहले खत्म करने का फैसला किया है।’’
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