इंडिया न्यूज, वडोदरा (sologamy marriage)। 11 जून को क्षमा की शादी होने वाली थी। बेसब्री इतनी कि 8 जून को उसने खुद से शादी कर ली। दुल्हन बनने का सपना पूरा किया और खुद से अपनी मांग में सिंदूर भर ली। गुजरात के वडोदरा की क्षमा बिंदु ने अपना दुल्हन बनने का सपना पूरा करते हुए आखिरकार खुद से शादी कर ही ली। क्षमा ने विवादों से बचने के लिए तय समय 11 जून से तीन दिन पहले बुधवार को ही एकल विवाह कर लिया।
क्षमा बिंदु के एकल विवाह को लेकर विवाद उठने लगा था। कहा जा रहा था कि हिंदू धर्म में इस तरह के विवाह का प्रावधान नहीं है। क्षमा को मंदिर में इस तरह से विवाह नहीं करने देने की भी चेतावनी मिली थी। क्षमा ने बिना दूल्हे के सात फेरे लिए। उन्हें सहेलियों व रिश्तेदारों ने हल्दी लगाई। वडोदरा की पूर्व डिप्टी मेयर सुनीता शुक्ला ने तो क्षमा को किसी मंदिर में विवाह नहीं करने देने की चेतावनी दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय विवाद पद्धति में ऐसे विवाह को मान्यता नहीं है।
वडोदरा के गोत्री स्थित अपने घर में क्षमा ने हिंदू रीति रिवाजों के साथ शादी की। इस खास शादी में न तो दूल्हा था और न ही सात फेरे की रस्म पूरी कराने वाला पंडित। शादी में क्षमा के परिजनों के अलावा करीबी दोस्त मौजूद थे। कहा जा रहा है कि देश में इस तरह की पहली शादी है। बीते दिनों क्षमा बिंदु ने एकल शादी करने का एलान किया था। उन्होंने 11 जून को वडोदरा के एक मंदिर में खुद से शादी की घोषणा करते हुए कहा था कि वह शादी नहीं करना चाहती, लेकिन इस परंपरा को निभाने के लिए खुद से शादी करेंगी।
क्षमा ने जैसे ही खुद से शादी का एलान किया तो विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों की संख्या बहुत अधिक नहीं थी, लेकिन इस डर से कहीं शादी के दिन बखेड़ा खड़ा न हो जाए, क्षमा ने 11 की बजाए 8 जून को ही शादी कर ली। मंदिर में विवाह का विरोध होने व पंडित द्वारा रस्म पूरी कराने से मना के बावजूद क्षमा पीछे नहीं हटी और एकल विवाह को अंजाम दे दिया। पंडित की कमी पूरी करने के लिए टेप पर विवाह के मंत्र बजाकर रस्में पूरी की। क्षमा ने सोलोगेमी मैरिज का एलान करते वक्त बताया था कि वह कभी शादी नहीं करना चाहती थी, लेकिन दुल्हन बनने का सपना था, इसलिए उन्होंने खुद से शादी करने का फैसला किया।
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