Gyanvapi Case: (The court rejected the demand for filing a case against the leaders for spreading filth in the Vaju Khana of Gyanvapi Masjid and for making inflammatory and objectionable statements in the context.): सपा प्रमुख अखिलेश यादव और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत दो हजार लोगों पर ज्ञानवापी प्रकरण में बयान देकर हिंदू धर्मावलंबियों को ठेस पहुंचाने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने से संबंधित प्रार्थना पत्र को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में गंदगी फैलाने और संदर्भ में नेताओं की भड़काऊ व आपत्तीजनक बयानबाजी पर मुकदमा दर्ज करने की मांग को खारीज कर दिया। इस मामले में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, शहर के मौलवी और काजी के साथ कई लोग शामिल थे, जिनपर मुकदमे की मांग की गई थी।
सिविल कोर्ट के एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। प्रार्थना पत्र में एडवोकेट ने आरोप लगाया था कि, इन नेताओं ने मर्यादा के खिलाफ और गैर-कानूनी कथनों पर बयान देकर हिंदू समाज के प्रति घृणा फैलाने का आपराधिक कार्य किया है। जिसके बाद हाल ही में यह मामला अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी-एमएलए कोर्ट के प्रभारी उज्जवल उपाध्याय की कोर्ट में हुआ था।
एडवोकेट के द्वारा प्रथना-पत्र देने के बाद अदालत ने बहस सुनी। बहस सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश को सुरक्षित करते हुए अगली तारीख 14 फरवरी की मुकर्रर की थी। जिसके बाद 14 फरवरी यानी बुधवार को अदालत ने सबको अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘तीनों नेताओं के कथन के संबंध में यह कहना पर्याप्त है कि कानून व्यवस्था का प्राथमिक उत्तरदायित्व राज्य एवं उनकी एजेंसियों का है।‘
आगे उन्होंने कहा कि, ‘वाद में जिन भी घटनाओं एवं कथनों का उल्लेख किया गया है, उनके घटने या फिर न घटने के संबंध में वादी को ही जानकारी हो ऐसा भी नहीं हो सकता है।‘ ‘ऐसी परिस्थिति में कोई संज्ञेय अपराध कारित होना दर्शित नही होता है। ऐसे में आवेदन निरस्त किया जाता है।‘
कोर्ट में अर्जी देकर वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने आरोप लगाया था कि, समाजवादी पार्टी के नेता और ओवैसी के साथ और लोगों ने अआपने बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया था। साथ ही अधिवक्ता ने कहा था कि, ज्ञानवापी परिसर में नमाज़ी वजूखाने में हाथ-पैर धोते है और गंदगी फैलाते है। बल्कि वह स्थान हमारे अराध्य भगवान शिव का है।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में कहा कि, यह हिंदू समाज के लिए अपमानजनक है। इसलिए इस मामले में कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। इस मामले में अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, कमेटी के संयुक्त सचिव सैय्यद मोहम्मद यासीन और बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की थी।
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