हरिशंकर तिवारी ने 70 के दशक में अपने प्रभाव को धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू किया। इसके बाद वे राजनीति में बाहुबली नेता बनकर उभरे। आम लोगों और पीड़ितों की पहले आवाज बने और उनके सहयोग और समर्थन के दमपर अपना दबदबा भी बनाया। बाहुबली नेता की संपत्ति को लेकर अक्सर कई प्रकार के दावे किए जाते रहे हैं। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर वे चिल्लूपार विधानसभा सीट से उम्मीदवार बने। अपने चुनावी हलफनामे में हरिशंकर ने एक करोड़ 64 लाख पांच हजार रुपए की संपत्ति की घोषणा की थी।
साल 2020 की बात है। अचानक जब सीबीआई ने हरिशंकर तिवारी सीबीआई के घर पर छापा मारा था। इस छापे के बाद ही वो चर्चा के केंद्र में आ गए थे। मीडिया ने भी हाईलाइट किया। विपक्ष ने चारों ओर से घेरा हालांकि उनसे बााद में पूछताछ भी हुई। हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्मशंकर तिवारी संतकबीरनगर से पूर्व सांसद रहे हैं।
जबकि पूर्व बसपा विधायक और छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी पर तब 7 बैंकों के 1129 करोड़ रुपए के बकाए का मामला सामने आया था। इस बात की जानकारी डेबिट रिकवरी ट्रिब्यूनल की ओर से जारी ने की थी। डीआरटी के मुताबिक, मैसर्स गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड और अन्य फर्म ने अलग-अलग बैंकों से कर्ज लिया। उन पर सबसे अधिक कर्ज बैंक ऑफ इंडिया का जो करीब 284 करोड़, आईडीबीआई का 216.43 करोड़ और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 117.66 करोड़ रुपए का बकाया दिखाया गया है। हरिशंकर तिवारी परिवार पर केनरा बैंक के 142.49 करोड़, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के 100.44 करोड़, कॉरपोरेशन बैंक 166.21 करोड़ और एक्सिस बैंक 102.99 करोड़ रुपए का भी कर्ज शामिल है। बैंकों की ओर से वसूली के लिए उनके खिलाफ कई बार समन तक जारी किया जा चुका है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे और बसपा से विधायक रहे विनय तिवारी ने समाजवादी पार्टी में चले गए थे। सपा उम्मीदवार के तौर पर विनय तिवारी चिल्लूपार से चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने चुनावी हलफनामे में जो संपत्ति का बताया था। उसके मुताबिक चुनावी मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों में वे सबसे ज्यादा पैसे वाले थे। बता दें कि विनय तिवारी और उनकी पत्नी के पास 67.51 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति का चुनावी हलफनामा दिया गया।