(This dargah became an example of communal unity, Hindu-Muslim were seen playing Holi together): होली पर्व प्रेम व प्यार का प्रतीक है जहां सभी लोग एक दूसरे को गले लगाकर सारे गिले-शिकवे दूर कर देते हैं। एसे में होली (Holi 2023) हर जगह अपने तो देश विदेश में भी सब से ज्यादा मशहूर है। यहां पर दूर-दूर के लोग होली-अपने अंदाज से मनाया जाता है।
जहां मथुरा-वृन्दावन और बरसाने की होली का पर्व मनाने लिए पहुंचते हैं। लट्ठमार होली, फूलों की होली, लड्डूमार होली तो दुनियाभर में मशहूर है ही लेकिन आज हम जिस अदभुत होली की बात कर रहे हैं वो है बाराबंकी स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हाजी वरिश अली शाह की मजार पर खेली जाने वाली होली।
एक ओर जहां मौजूदा सरकार पर जाति धर्म को लेकर विपक्ष हमेशा से तंज कसता रहा है। उसी के बीच उत्तर प्रदेश से एक तस्वीर सामने आई है। जहां बाराबंकी में हिदू मुस्लिम की एकता देखने को मिली है। बता दें, बाराबंकी में प्रतीक प्रसिद्ध सूफी संत हाजी वारिश अली शाह की दरगाह पर खेली जाने वाली होली में जाति, धर्म सबकी सीमाएं टूट जाती है। यहां पर हिन्दू -मुस्लिम एक साथ होली खेलकर, एक दूसरे के गले मिलकर होली की बधाई देते हैं।
वहीं इस दरगाह पर खेली जाने वाली होली की सबसे खास बात ये है कि इसमें ‘जो रब है वही राम है’ के संदेश की झलक देखने को मिलती है। यहां देशभर से हिन्दू, मुस्लिम सिख आकर एक साथ होली खेलते हैं और एकता का संदेश देते हैं।
अपको बता दें की हाजी वारिश अली शाह की मजार का निर्माण उनके एक हिन्दू मित्र राजा पंचम सिंह ने करवाया था। वहीं इसके निर्माण काल से ही ये स्थान हिन्दू-मुस्लिम की एकता का संदेश देता आ रहा है। वही यहां पर आने वाले जितने लोग मुस्लिम हैं उससे कई ज्यादा तो हिन्दू लोग आते हैं। वहीं कई हिन्दू भक्त तो इन्हें भगवान श्रीकृष्ण का अवतार भी मानते है।
बता दें की होली कमेटी के अध्यक्ष सहजादे आलम वारसी ने बताया है कि यहां 100 वर्षों से अधिक समय से होली खेली जा रही है। जहां पहले यह पर इतनी भीड़ नहीं होती थी। वहीं कस्बे के लोग वारिस सरकार के कदमों में रंग गुलाल चढ़ाते थे और वह सबको अपना आशीर्वाद देते थे। लेकीन समय के साथ यहां की होली का स्वरूप बदल गया और बाहर से भी लोग होली खेलने आने लगे है। जहां उन्होंने ये भी कहा है कि वारिस सरकार मोहब्बत का संदेश देते हैं। उनकी यही प्रार्थना है कि कयामत तक लोगों में प्यार बना रहे।