India News (इंडिया न्यूज़), Chaudhary Charan Singh : भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 3 अक्टूबर 1977 का दिन काफी अहम है। इसी दिन “आयरन लेडी” देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था। उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप थे। गिरफ्तारी का आदेश किसानों के मसीहा व तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह ने दिया था। 1 अप्रैल 1967 वह दिन जब यूपी से लेकर दिल्ली तक बड़ी हलचल मची थी। देश के एक बड़े किसान नेता और राजनेता की आंखों में आंसू थे। वहीं, चौधरी चरण सिंह लगातार चालीस वर्षों तक कांग्रेस के लिए संघर्ष करने के बाद पार्टी छोड़ने की घोषणा की थी। रोते हुए उन्होंने का था कि सारी उम्र कांग्रेस संस्कृति में बिताई है, अब उसे छोड़ते हुए बहुत तकलीफ़ हो रही है।
चौधरी चरण सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे और इंदिरा गांधी उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी थीं। 1977 में इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के बाद देश में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। जनता पार्टी के संरक्षण में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और चौधरी चरण सिंह गृह मंत्री बने। आपातकाल ख़त्म होने के बाद 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। इंदिरा गांधी पर चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाली जीपों की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था।
उस समय इंदिरा गांधी के लिए रायबरेली में चुनाव प्रचार के लिए 100 जीपें खरीदी गईं थीं। विरोधियों का आरोप था कि जीपें कांग्रेस पार्टी के पैसे से नहीं, बल्कि उद्योगपतियों ने खरीदी थीं। इसके अलावा कांग्रेस के चुनाव प्रचार में भी सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया गया है। चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए शाह आयोग का गठन किया। आए दिन इंदिरा के खिलाफ गवाही और बयान दर्ज होने लगे। अंततः चरण सिंह के आदेश पर इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। हालाँकि, बाद में तकनीकी आधार पर इंदिरा को रिहा कर दिया गया।
बता दें कि चौधरी चरण सिंह के मन में इंदिरा गांधी के खिलाफ पहले से ही गुस्सा था। उनका मानना था कि जिस तरह इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान एक लाख से ज्यादा लोगों को झूठे मामलों में फंसाकर जेल में डाल दिया था, उसी तरह इंदिरा को भी जेल में डाल देना चाहिए। ये किस्सा भी बहुत मशहूर था कि चौधरी चरण सिंह ने एक बार कहा था- मैं चाहता हूं कि इंदिरा गांधी को कनॉट प्लेस में खड़ा करके कोड़े लगवाए जाएं।
लंबे समय तक उत्तर प्रदेश के सीएम रहते हुए चौधरी चरण सिंह एक ऐसे नेता बन गए जो अपने किसान और गरीब हितैषी कार्यों के कारण न केवल यूपी बल्कि पूरे देश के किसानों के दिलों में बस गए। चौधरी चरण सिंह से पहले जनता पार्टी सरकार में पहले गृहमंत्री फिर प्रधानमंत्री बने। लेकिन, होनी को कुछ और मंजूर था।
इसी बीच कांग्रेस पीएम पद के लिए चौधरी चरण को समर्थन देने को तैयार हो गई। आख़िरकार देश के इतिहास में पहली बार कोई किसान नेता पीएम की गद्दी पर बैठा। लेकिन बहुमत साबित करने के एक दिन पहले इंदिरा गांधी ने अपना समर्थन वापस ले लिया। यूपी के मुख्यमंत्री पद से देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले चौधरी चरण सिंह की सरकार गिर गई। एक दिन भी संसद का सामना किये बिना चरण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा।
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