देहरादून: जोशीमठ में हो रहे रहे भू-धंसाव के कारण जहां एक तरफ लोग पलायन कर दूसरे जगहों पर जा रहें है. दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकार मिलकर भू-धंसाव के पीछे के कारण पता लगाने में लगी है. आज दिल्ली से प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों मे गए और जांच करनी शुरु की. उनके साथ तमाम वैज्ञानिक भी मौजूद रहे. प्रभावित इलाके में पड़ी दरारों का नाप लिया गया और वही कई अन्य स्थितियों की जांच की जा रही है.
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि पीएमओ की एक टीम आज यहां जमीन की स्थिति का जायजा लेने आई थी. जिन घरों में दरारें दिखाई दी हैं और पानी की गुणवत्ता का निरीक्षण किया गया है. वही आपदा प्रबंधन सचिव, रंजीत सिन्हा ने बताया कि हम निरीक्षण कर रहे हैं कि क्या क्षेत्र में कोई नई दरारें हैं. दरारों में लगभग 1 मिमी की मामूली वृद्धि हुई है लेकिन हम उनकी निगरानी कर रहे हैं.
हम एक पैटर्न भी ढूंढ रहे हैं ताकि भविष्य में कोई नुकसान न हो. हमारी सभी टीमें यहां जांच के लिए पहुंची हैं और अब उनकी रिसर्च बताएगी कि इसके पीछे क्या वजह है. उसके बाद उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
जानकारी हो कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में भू-धंसाव के प्रभावित इलाकों का दो बार निरीक्षण किया था. पहली बार में उन्होंने पूरे क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया वही दूसरी बार में उन्होंने प्रभावितों से मुलाकात की थी. उन्होंने आश्वासन दिय़ा है कि किसी के घर को तोड़ा नही जाएगी. घर तोड़ने वाली खबरों पर उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी प्रकार की खबर पर ध्यान दिया जाए.
हाल ही में जोशीमठ से लौटने के बाद सीएम धामी ने देहरादून में भू-धंसाव के मामले पर कैबिनेट मीटिंग की थी. जिसमे उन्होंने तमाम चल रहे राहत बचाव कार्य को लेकर जानकारी ली थी और अधिकारियों को कई प्रकार के निर्देश दिए थे. सीएम धामी ने सभी प्रभावितों को त्वरित प्रभाव ले 1.50 लाख रुपए मदद का ऐलान किया है.
गौरतलब है कि अभी तक कुल 700 से अधिक मकानो को चिन्हित किया गया है जो प्रभावित हैं. खबर लिखे जाने तक 99 परिवारों को दूसरे स्थानों पर विस्थापित किया जा चुका है. सीएम धामी ने कहा है कि जिन भी लोगों को अपने घरों को छोड़ कर जाना पड़ रहा है उन्हें सरकार 4000 रुपए महीना घर किराया देगी.
जो लोग अपने घरों को छोड़कर जा रहें है उनका कहना है उन्होंने अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई से अपने सपनों के घरों को बनाया था. लेकिन प्रकृति के आगे वो बेबस हैं. कई विस्थापित लोगों का कहना है कि उनकी तमाम यादें उनके घरों से जुड़ी हुई है. लेकिन वो उसे छोड़ कर जा रहे हैं. विस्थापितों का कहना है कि घर सुरक्षित मिलेगा या नही इसकी कोई उम्मीद भी नही है. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
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