इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Kapil Sibbal In Samajwadi Party)। सियासत में कब, कौन, क्यों और कहां पलटी मार जाए, किसी को नहीं पता। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और चर्चित वकील कपिल सिब्बल को जब बुधवार को समाजवादी पार्टी के खेमे में देखा गया तो आश्चर्य जरूर हुआ। पर, यह घटना अप्रत्याशित नहीं थी। सबको पता था कि देर-सबेर कपिल सिब्बल कांग्रेस से रुखसत तो होंगे ही।
उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा था। सिब्बल अब सपा के समर्थन से राज्य सभा जाने वाले हैं। सपा के दिग्गज नेता आजम खान के वकील रहे सिब्बल यहां यूं ही नहीं आए हैं। जानकार बताते हैं उन्हें आजम को पटाने का टास्क दिया गया है। यानी आजम खान को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए पटाकर कपिल सिब्बल सपा का एहसान चुकाएंगे।
आजम खान लगभग 27 माह तक जेल में बंद रहे। इस बीच आजम के समर्थकों ने अखिलेश यादव पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने आजम की रिहाई के लिए कोई कोशिश नहीं की। इतना ही नहीं, अखिलेश पर आजम समर्थकों के उत्पीड़न के भी आरोप लगे। इसी क्रम में अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने जेल में आजम से मुलाकात भी और जेल से छुटने के बाद उनसे निकटता भी दिखाते रहे।
चूंकि यूपी के मुस्लिम वोटर्स में आजम की अच्छी पैठ मानी जाती है, इसलिए आजम से अपनी बढ़ती दूरी से अखिलेश भी परेशान होते रहे। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश मौके की तलाश में थे कि आजम को पटाने का कोई जुगाड़ सेट किया जाए। इसके लिए नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव भी सक्रिय हुए और कपिल सिब्बल हाथ आ गए।
तकरीबन 27 माह तक जेल में बंद रहने से आजम खान भी परेशान थे। उन्हें सहूलियत के लिए एक अच्छे कानून के ज्ञाता की दरकार थी। इस तलाश के दौरान कपिल सिब्बल से उनकी बात हुई। सिब्बल ने आजम खान की जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में नियमानुसार शानदार बैटिंग की। आखिरकार आजम को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अंतरिम जमानत मिल गई। रिहाई के बाद आजम खेमे में काफी उल्लास देखा गया।
जबकि आजम की अखिलेश से मुलाकात तक नहीं हुई। वहीं आजम की शिवपाल सिंह यादव से संवाद जारी रही। इससे यूपी में सपा खेमे का सियासी सेंसेक्स चढ़ता-उतरता रहा। राजनीति के जानकार इस तरह के हालात अखिलेश यादव के लिए ठीक नहीं मान रहे थे। इसी बीच सपा को कपिल सिब्बल का फार्मूला मिल गया। अब उम्मीद की जा रही है कि सिब्बल आजम को अखिलेश के निकट लाकर सपा का एहसान चुकाएंगे।
कपिल सिब्बल को 2016 में कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था। वहीं, संभल के जावेद अली खान को राज्यसभा भेजने पर भी पार्टी में सहमति बन गई है। जावेद 2014 से 2020 तक राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। उन्हें मुलायम सिंह यादव और राम गोपाल यादव का करीबी माना जाता है।
11 में से 8 सीटों पर भाजपा के आसानी से जीत दर्ज करने की उम्मीद है। ऐसे में कपिल सिब्बल के जरिए अखिलेश बड़ा राजनीतिक खेल करते दिख रहे हैं। अखिलेश इसके जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के वोट बैंक को यह संदेश देने की कोशिश करते दिखेंगे कि जिस बड़े चेहरे को उनके नेताओं ने तरजीह नहीं दी, उसे सपा ने सम्मान दिया। यह कांग्रेस के वोट बैंक पर सपा की नजर के रूप में भी देखा जा रहा है।
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