हाल ही में लखनऊ के हजरतगंज इलाके में अलाया अपार्टमेंट धराशाई ( Lucknow Building Collapes ) हो गया था. अचानक ये बहुमंजिला इमारत कैसे गिर गई इसकी जांच अभी चल रही है. जांच में इस इमारत को बनवाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की गई. इसमें तीन लोगों को गिफ्तार किया गया था. मामला कोर्ट में जाने के बाद इस पर सुनवाई हुई.
इस मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अलाया अपार्टमेंट के एक बिल्डर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, यही अपार्टमेंट पिछले महीने राज्य की राजधानी में गिर गई थी. इसमें तीन लोगों की जान चली गई थी। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को भी मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
जस्टिस एआर मसूदी और ओपी शुक्ला की बेंच ने बिल्डर फहाद यजदान की याचिका पर स्टे ऑर्डर दिया। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह निर्दोष है और उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। याचिकाकर्ता ने अलाया अपार्टमेंट इमारत के ढहने के बाद अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को भी चुनौती दी है।
पिछले महीने इमारत गिरने से समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्बास हैदर की मां और पत्नी समेत तीन महिलाओं की मौत हो गई थी.इमारत गिरने के बाद बिल्डर के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 420 (धोखाधड़ी) और 120बी (आपराधिक साजिश) और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
ये भी पढ़ें- राजधानी लखनऊ का नाम बदलकर ‘लक्ष्मण नगरी’ करने की तैयारी, क्या है, Duputy CM Pathak के बयान के मायने