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Mainpuri By-Election: शिवपाल बोले- हमारा एक होना जरूरी, केंद्रीय मंत्री का तंज- उड़ान तय करेंगी आसमान किसका है

• LAST UPDATED : November 21, 2022

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इंडिया न्यूज, मैनपुरी (Uttar Pradesh) । मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर उप चुनाव हो रहा है। यहां भाजपा ने रघुराज शाक्य को टिकट दिया है, वहीं सपा ने डिंपल यादव को उतारा है। कांग्रेस और बसपा इस चुनाव से बाहर है। खास बात यह है 2016 से राजनीति के दो ध्रुव बन चुके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव डिंपल को जिताने के लिए एक हो चुके हैं। रविवार को अखिलेश यादव ने ऐलान किया कि अब उनके बीच कोई दूरी नहीं है। अखिलेश ने मंच पर चाचा शिवपाल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लिया। कहा कि डिंपल को जीत ऐतिहासिक होगी।

सोमवार को चाचा शिवपाल यादव एक बार फिर प्रचार में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि ये बहुत महत्वपूर्ण चुनाव हो रहा है। भाजपा को हराने के लिए एक होना जरूरी है। नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी को कभी निराश नहीं किया। मैनपुरी ने भी उन्हें निराश नहीं किया। बचपन से ही नेताजी का मैनपुरी से जुड़ाव रहा है। सपाई चुनौतियों से घबराने वाले नहीं हैं। डिंपल को रिकॉर्ड वोट से जिताएं।

केंद्रीय मंत्री शिवपाल-अखिलेश पर कसा तंज
अखिलेश और शिवपाल की एकजुटता पर केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने निशाना साधा है। शायराना अंदाज में हमला करते हुए कहा कि “विरासत से तय नहीं होंगे सियासत के फैसले, उड़ान तय करेंगी आसमान किसका है?”

मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं है। चाचा चाणक्य ने बहुत साल पहले कहा था कि यदि राजा बहुत लोकप्रिय होगा तो उसके दुश्मनों के दुश्मन हमारे दोस्त के सिद्धांत पर दुरभि संधिया करेंगे। ऐसे ही चाचा भतीजे के बीच दुरभि सन्धि हुई है। उन्होंने कहा कि ये वहीं बात है कि ‘मुझे कोई और नहीं, तुझे कोई ठौर नहीं।’

एसपी बघेल ने कहा कि 2017 से 2022 तक यदि किसी ने सर्वाधिक खोया है तो उसका नाम शिवपाल यादव है। पहले उन्होंने पार्टी बनाई, फिर अखिलेश से समझौते की कोशिश की। उससे पहले बीजेपी व बाकी पार्टियों से समझौते की कोशिश की लेकिन जितनी सीट वो मांग रहे थे शायद कोई नहीं दे पाएगा। अखिलेश से 80 सीटों से बात शुरू हुई उसके बाद मिला शून्य। वे अपना चुनाव भी सपा के निशान पर अखिलेश यादव के उम्मीदवार के रूप मे लड़े। अगर उन्हें एक ही सीट पर लड़ना था तो बीजेपी भी जिता देती।

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