India News(इंडिया न्यूज़),Mana Village Uttarakhand: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवास के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के माणा गांव का जिक्र किया। माणा गांव की पहचान देश के आखिरी गांव के रूप में थी, किन्तु अब इसे गांव का प्रथम गांव का तमगा मिला है। माणा गांव अपने आप में ही एक विशेष गांव है। जो घूमने के लिए खास बेहद ही खास है।
#WATCH वाइब्रेंट बॉर्डर गांव को देश का आखिरी गांव कहा जाता था। हमने वह मानसिकता बदल दी। वह देश का आखिरी गांव नहीं हैं। आप सीमा पर जो देख सकते हैं वह मेरे देश का पहला गांव है…मुझे खुशी है कि इस कार्यक्रम के विशेष अतिथि इन सीमावर्ती गांवों के 600 प्रधान हैं। वे यहां लाल किले पर… pic.twitter.com/QpW08iQnNu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 15, 2023
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि “माणा गांव को देश का आखिरी गांव कहा जाता था, लेकिन अब हमने वो मानसिकता बदल दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह देश का आखिरी गांव नहीं हैं। जब आप सीमा पर खड़े होकर देखेंगे तो वह मेरे देश का पहला गांव है। मुझे खुशी है कि इस कार्यक्रम के विशेष अतिथि देश के सीमावर्ती गांवों के 600 प्रधान हैं। वे यहां लाल किले पर इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने आए हैं।”
उत्तराखंड के चमोली जिले का एक छोटा सा गांव जिसे माणा गांव के नाम से जाना जाता है। पहले इसे भारत का आखिरी गांव कहा जाता था लेकिन अब इसे देश का पहला गांव कहा जाएगा। पीएम मोदी का मानना है कि सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है,अब इसे नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ये गांव भारत-तिब्बत सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है। कहा जाता है कि माणा में व्यास और गणेश गुफा भी हैं। मान्यता है कि यही बैठकर वेद व्यास ने गणेश जी को महाभारत बोलकर सुनाई थी, जिसे गणेश जी ने अपने हाथों से लिखा था।आइए जानते हैं क्या है माणा गांव का इतिहास और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है।
भारत-चीन सीमा से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उत्तराखंड का माणा गांव समुद्र तल से 3,219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अब तक यहां पर्यटकों को ‘इंडियाज लास्ट टी कॉर्नर’ और ‘इंडियाज लास्ट कॉफी एंड टॉफी कॉर्नर’ जैसे साइनबोर्ड नजर आते थे। लेकिन अब ये लास्ट, पहला बन चुका है यानि फर्स्ट कॉफी कॉर्नर या पहला टी कॉर्नर। पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठाने यहां पहुंचते हैं।
माणा के आसपास कई देखने लायक जगह मौजूद हैं। यहां सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम होता है। साथ ही यहां कई प्राचीन मंदिर और गुफाएं भी हैं, जिन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा होती है। गांव की ऊंचाई समुद्र तल से 18,000 फुट ऊंची है, जहां से वादियों की खूबसूरती देखने लायक है। यह गांव बद्रीनाथ से मात्र तीन किमी दूर है। माणा में आप वेद व्यास की गुफा, भीम पुल, बद्रीनाथ मंदिर और तप्त कुंड घूमने लायक जगह हैं। भीम पुल से थोड़ा आगे पांच किलोमीटर बढ़ने पर आपको वसुधारा मिलेगी। यह एक झरना है जोकि लगभग 400 फीट ऊंचाई से गिरता इस वाटर फॉल का पानी देखने में मोतियों की बौछार सा लगता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पानी की बूंदें पापियों के तन पर नहीं पड़तीं हैं।
माणा गांव से थोड़ा आगे बनें भीम पुल की कहानी बड़ी दिलचस्प है. कहा जाता है कि पांडव अपना राज-पाठ छोड़ कर जब स्वर्ग की ओर जा रहे थे तो वे माणा गांव से होकर गुजरे थे। रास्ते के एक झरने को पार करने के लिए पांडवों में सबसे ताकतवर भाई भीम ने चट्टान फेंक कर पुल बनाया था इसलिए इसे भीम पुल कहा जाता है। बगल में स्थानीय लोगों ने भीम का मंदिर भी बना रखा है।
उत्तराखंड का माणा गांव अब देश का पहला गांव बन गया है। बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस टिप्पणी का समर्थन किया था कि माणा देश का पहला गांव है और हर सीमावर्ती गांव पहला गांव होना चाहिए। 21 अक्टूबर 2022 को माणा में आयोजित एक कार्यक्रम में मोदी ने मुख्यमंत्री से माणा को भारत का अंतिम गांव की बजाय देश का पहला गांव कहे जाने पर मुहर लगाते हुए कहा था कि अब तो उनके लिए भी सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है।