India News(इंडिया न्यूज़),Moradabad News: इस सप्ताह के आखिर में रविवार, 28 मई को देश को अपना नया संसद भवन मिल जाएगा। ब्रिटिश राज में बना संसद भवन करीब 97 वर्षों से ज्यादा समय तक भारत के राजनीतिक इतिहास का गवाह बना लेकिन अब वह वह पुराना या यूं कह लीजिए की बूढ़ा हो चुका है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की नींव रखी थी और अब वह बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन उसका उद्घाटन कौन करेगा? इस बात पर सियासी जोरों पर है। सरकार और बीजेपी नेताओं का जहां एक ओर तर्क है कि पहले भी संसद की अलग-अलग इकाईयों का उद्घाटन प्रधानमत्री करते आए हैं तो अभी पीएम ही करेंगे तो वहीं विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री के बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए तो वहीं कुछ न पीएं और न ही राष्ट्रपति के पक्ष में हैं क्योंकि उनका तर्क है कि दोंनों ही कार्यपालिका के अंग हैं।
इसलिए स्पीकर को करना चाहिए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना सुझाव देकर नई बहस को जन्म दे दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए, न कि प्रधानमंत्री को। राहुल का यह ट्वीट तब सामने आया जब नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख की घोषणा की गई। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा कि नई पार्लियामेंट देश की संपत्ति है। इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। ये देश के लोगों की अमानत है। हम इसके राजनीतिकरण का विरोध करते हैं। हसन ने आगे कहा, देश का राष्ट्रपति किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं होता है, इसिए देश के राष्ट्रपति को इसका उद्घाटन करना चाहिए था न की प्रधानमंत्री को।
प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करके पीठ थपथपाना चाहते हैं अपनी पार्टी का दिखावा करके इस पर राजनीतिकरण कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि पार्लियामेंट देश की संपत्ति है देश के लोगों के टैक्स के पैसे से बना है हमे इसका विरोध है। आगामी लोकसभा के चुनाव पर बोले 2024 में सत्ता का स्थानांतरण होने जा रहा है। देश हिंदू मुस्लिम सभी का है लेकिन ये पार्टी यह संदेश देती है ये पार्टी कूलर एक धर्म का देश है। सियासत के अंदर यह बिल्कुल भी शोभा नहीं देता। आखिर वहां पर कुरआन बाइबल गुरु ग्रंथ का पाठ क्यों नही होना चाहिए। जब पत्रकारों ने उनसे आजम खान को लेकर सवाल किया तो हसन ने कहा पूरा देश जानता है आजम खान के साथ क्या हुआ है। अब आजम खान को इंसाफ मिलना शुरू हो गया है। हमें देश की अदालतों पर पूरा भरोसा है।
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