इंडिया न्यूज यूपी/यूके, लखनऊ: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सोमवार को गुरुग्राम मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था। उनके निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालने का बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। पार्टी के सामने बड़ी जिम्मेदारी के साथ ही परिवार को जोड़े रखने पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। ऐसे में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई। परंपरागत वोट बैंक को बढ़ाकर राष्ट्रीय राजनीति में दखल देना होगा, जिससे क्षेत्रीय दलों को नेताजी के जमाने में मिला रुतबा कायम रहे।
नेता जी थे की खत्म हो परिवारवाद
मुलायम सिंह यादव की इच्छा थी की पूरा सपा परिवार एक हो कर चले। लेकिन उनके रहते हुए ये मुमकिन नहीं हो सका। सपा परिवार में फूट पड़ी तो चाचा शिवपाल और अखिलेश अलग-अलग हो गए। शिवपाल यादव ने प्रसपा नाम से अपनी पार्टी बना ली। वहीं मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा भी हाल ही में बीजेपी के खेमे में चली गई।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा की स्थिती किसी से छुपी नहीं है। बीते विधानसभा चुनाव में भले ही बीजेपी के बाद सपा थी लेकिन इन सब के बावजूद करारी हार का सामना करना पड़ा। अखिलेश और शिवपाल के कंधों पर सपा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है। साथ ही परिवार को एकजुट करना भी जरूरी है।
राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की ताकत कम
सपा की स्थापना के 30 साल हो चुके हैं। प्रदेश में पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ी है। वोट बैंक में बेतहाशा वृद्धि के बावजूद राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की ताकत कम हुई है। सांसदों की संख्या कम होने के बाद भी निरंतर ढाल बने रहने वाले नेताजी अब नहीं है। ऐसे में उनकी विरासत को आगे बढ़ाना आसान नहीं होगा।
सपा के कोर वोट बैंक पर दूसरो दलों की नजर
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए रणनीति बदलनी होगी। यह सही है कि सपा दलित वोट बैंक को रिझाने की कोशिश कर रही है। इसका फायदा मिल सकता है लेकिन यह सच्चाई भी स्वीकारनी होगी कि सपा के परंपरागत वोट बैंक यादव और मुस्लिम पर दूसरे दल डोरे डाल रहे हैं।
ऐसे में मुलायम सिंह की सियासी रणनीति से सबक लेकर अखिलेश यादव को आगे की रणनीति तय करनी होगी। इसके लिए सपा शीर्ष नेतृत्व को नए और पुराने वफादारों की शिनाख्त करनी होगी। एक तरफ मुलायम सिंह के दाहिने हाथ शिवपाल सिंह यादव फिलहाल अलग हैं तो दूसरी तरफ पार्टी सत्ता से दूर है। ऐसे में हर वर्ग के लोगों को जोड़ने की दिशा में अभियान चलाना होगा।
अखिलेश ने कार्यकर्ताओं को दिया बड़ा संदेश
अखिलेश यादव ने अंत्येष्टि स्थल से पार्टी कार्यकर्ताओं को एक बड़ा सन्देश भी दिया। पिता को मुखाग्नि देने के बाद शोकाकुल कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच अखिलेश यादव जाकर बैठ गए। उनके साथ आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम और धर्मेंद्र यादव भी थे। वे उसी भूमिका में नजर आए जैसे कभी मुलायम सिंह यादव, आजम खान और शिवपाल यादव नजर आते थे। संदेश साफ़ था कि नेताजी के जाने के बाद अब पार्टी का वर्तमान और भविष्य वही हैं।
‘जो जिम्मेदारी मिलेगी उसको निभाएंगे’
हर मौके पर मैने जो भी फैसले लिए हैं वो नेता जी के आदेश पर ही लिए हैं। संरक्षक की भूमिका की जिम्मेदारी पर शिवपाल यादव बोले जो भी जिम्मेदारी मिलेगी वो निभाएंगे और अगर जिम्मेदारी नहीं भी मिली तो जो लोग मुझसे जुड़े हुए हैं। जिनको सम्मान नहीं मिला है उनको सम्मान दिलाने का काम करेंगे। नेता जी के नहीं रहने पर पूरा संसार सिमटा हुआ दिखाई दे रहा है। मैने अपने जीवन में नेता जी के सभी आदेशों का पालन किया।