इंडिया न्यूज यूपी/यूके, सैफई: मुलायम सिंह यादव मंगलवार को पांच तत्वों में विलीन हो गए। अखिलेश यादव ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। मुलायम सिंह का चले जाना न ही सिर्फ राजनीति जगत का बड़ा नुकसान है, बल्कि आम लोगों के लिए लिए भी बहुत दुखद है। नेता जी के पार्थिव शरीर के दर्शन करने पहुंचा जन सैलाब इस बात का गवाह है। बता दें कि मुलायम सिंह यादव के सैफई गांव पहुंचने ही हजारों की संख्या में उनको देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ गई। माना जाता है कि मुलायम सिंह यादव उन नेताओं में से थे जो उत्तर प्रदेश में बसने वाले गांव को उनके नाम से जानते थे।
एक्सप्रेस वे से नीचे उतरने पर सैफई गांव की सीमा में पहुंचते ही गमगीम महौल साफ दिखता है। गांव के चारों तरफ बनी सड़क पर हर कदम पांडाल की ओर बढ़ते नजर आए। दुकानें बंद हैं। राजित की किराने की दुकान के बाहर कुछ लोग बैठे हैं। यहां वीडियो चल रहा है। मुलायम सिंह की तस्वीर के साथ संगीत सुनाई पड़ता है। बोल थे खुश रहो खुश रहो अहल इ वतन, हम अपना फ़ज़ॱर निभाके चले। हम तो सारे वतन को जगा के चले। याद आए हमारी तो रोना नहीं…। इस गीत को सुन वहां बैठे लोगों की आंखें नम हो गईं।
‘कोठी में फरियाद लगाने वाला नहीं हुआ निराश’
यहां बैठे अन्य लोग भी कुछ ऐसी ही बातें बताते हैं। कहते हैं कि कोठी में जिसने भी फरियाद लगाई, वह निराश नहीं हुआ। मुलायम के जमाने में इटावा का होना ही बड़ी बात थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। उन्हें डर हैकि नया नेतृत्व तवज्जो देगा या नहीं।
‘बहादुर बनो, शिक्षित बनो’
लोग बताते हैं नेताजी कहा करते थे कि बहादुर बनो, शिक्षित बनो। अब वे नहीं हैं। लेकिन जो रास्ता दिखाया है,उस पर चलकर परिवार को बहादुर और शिक्षित बनाएंगे। इसी तरह यहां जितने से बात करो, हर कोई नेताजी से जुड़ी एक नई कहानी बताता है।
मुलायम ने सबकुछ दिया
मुलायम सिंह के आवास के पीछे रहने वाले निरंजन सिंह कहते है कि इस गांव को उन्होंने सबकुछ दिया। गांव को संवारा। स्कूल से लेकर अस्पताल बनवाया। वह बताते हैं कि उनकी बेटी की शादी में नेताजी ने गुप्त दान दिया था। उनके तीनों बेटों को नौकरी नहीं मिली तो खुद की कंस्ट्रक्शन कंपनी बनवा दी। वे शहर में रहते हैं। वह गांव में अकेले रहते हैं। बिलखते हुए कहते हैं कि उनकेमसीहा चले गए। अब उनकी भी मौत हो जाए तो अच्छा है।
गांड़ी रोक कर जानते थे लोगों का हाल
मुलायम सिंह यादव जब भी गांव पहुंचते थे तो वह राह चलते वक्त गाड़ी रोक देते। खेत में काम करने वाली महिलाओं से बात करते। खाने से लेकर पहनने के इंतजाम तक पूछते। बीमार होने पर तुरंत अस्पताल भेजवाते थे। जब तक वे निरंतर गांव आते रहे, तब तक कोई निराशा नहीं रही। कुछ दिन से बदलाव दिख रहा है। आगे कोई उनका ख्याल रखेगा, इस पर संशय है।
बेटियों को स्कूल जरूर भेजो
नेताजी को श्रद्धांजलि देकर लौट रहे करहल के सैफुद्दीन कहते हैं कि मुलायम सिंह के साथ अब धोती वाले नेता खत्म हो गए हैं। इटावा, मैनपुरी में कभी धार्मिक तनाव नहीं हुआ। किसी ने गुस्ताखी की तो नेताजी ने खत्म कराया। कस्बे की बेटियों को पढ़ाने का इंतजाम किया। वे जब भी कस्बे में आते तो यही दुहराते कि बेटियों को स्कूल जरूर भेजो।
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