इंडिया न्यूज, कानपुर:
Padmashree Prof Manindra Agarwal Says कोरोना संक्रमण की शुरूआत में दूसरी लहर के उतार-चढ़ाव का सटीक गणतीय मॉडल देने वाले पद्मश्री से सम्मानित आइआइटी के प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने तीसरी लहर को लेकर राय स्पष्ट कर दी है। उनका मानना है कि यदि कोविड नियमावली का पालन न किया गया तो देश में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी की शुरूआत में ही चरम पर पहुंच सकती है।
उन्होंने कहा कि पूर्व में साउथ अफ्रीका के डाटा का अध्ययन करने पर तीसरी लहर फरवरी के अंत तक आने की संभावना जताई गई थी, लेकिन नए आंकड़ों से संक्रमण फरवरी के शुरूआत में ही पीक पर आने की आशंका हैं।
आइआइटी कानपुर के पद्मश्री प्रो. अग्रवाल ने बताया कि भारत में जून 2021 में सीरो सर्वे हुआ था। उसके डाटा का अध्ययन करने पर पता लगा कि भारत में कोरोना संक्रमण के 33 संदिग्ध मामलों में से केवल एक ही मामला प्रकाश में आ रहा है।
हालिया सीरो सर्वे रिपोर्ट भी मांगी गई है। उसके डाटा का भी अध्ययन किया जा रहा है। यही नहीं, पूर्व में साउथ अफ्रीका व डेनमार्क आदि देशों में कोरोना संक्रमण फैलने की रफ्तार का जो डाटा आया था, गणितीय माडल के आधार पर उसका अध्ययन करने पर भारत में तीसरी लहर फरवरी के अंत तक चरम पर होने का अनुमान लगाया गया था।
अब भारत में संक्रमण के फैलने का जो डाटा सामने आ रहा है, उसके आधार पर यही प्रतीत हो रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर फरवरी की शुरूआत में ही चरम पर होगी। दिल्ली व मुंबई में यह पीक और पहले जनवरी में ही हो सकता है।
उन्होंने कहा कि लोगों की सतर्कता उन्हें संक्रमण से बचाएगी। लिहाजा भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें और मास्क लगाएं। कोविड नियमावली का सख्ती से पालन करें। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर के चरम पर पहुंचने पर देश में 1.80 लाख केस प्रतिदिन सामने आ सकते हैं।
डेल्टा वैरिएंट के आने पर पांच में से एक संक्रमित को अस्पताल की जरूरत होती थी। ओमीक्रोन के मामलों में 10 में से एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। बता दें कि विधानसभा चुनाव के चलते फरवरी माह में ही चुनावी रैलियां भी होने की उम्मीद है।