India News इंडिया न्यूज, दिल्ली: पीएम ने आज वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और कई बातों को रखा। पीएम ने इस दौरा कहा कि बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़ कर एक बोध हैं, बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं, बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं और बुद्ध की ये चेतना चिरंतर है निरंतर है। यह सोच शाश्वत है, ये बोध अविस्मरणीय है। उन्होंने कहा कि इसलिए आज जितने भी अलग-अलग देशों से, भौगोलिक-सांस्कृतिक परिवेश से लोग यहां एक साथ उपस्थित हैं। यही भगवान बुद्ध का वो विस्तार है जो पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है।
पीएम मोदी ने कहा कि बुद्ध का मार्ग है- परियक्ति, पटिपत्ति और पटिवेध। यानी Theory, Practice and Realization। पिछले 9 वर्षों में भारत इन तीनों ही बिन्दुओं पर तेजी से आगे बढ़ा है। दुनिया के अलग-अलग देशों में पीस मिशन्स हों या तुर्किए में भूकम्प जैसी आपदा हो। भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर, हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है, ‘मम भाव’ से खड़ा होता है।हमें विश्व को सुखी बनाना है तो स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच को त्यागकर, समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है।
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम को लेकर कहा कि हर व्यक्ति का हर काम किसी न किसी रूप में धरती को प्रभावित कर रहा है। हमारी लाइफस्टाइल चाहे जो हो, हर बात का प्रभाव पड़ता ही पड़ता है। हर व्यक्ति जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ भी सकता है। अगर लोग जागरूक होकर प्रयास करें तो इस बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है। यही तो बुद्ध का मार्ग है। पीएम मोदी ने कहा कि बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग है, sustainability का मार्ग है। अगर विश्व, बुद्ध की सीखों पर चला होता तो क्लाइमेट चेंज जैसा संकट भी हमारे सामने नहीं आता। ये संकट इसलिए आया क्योंकि पिछली शताब्दी में कुछ देशों ने दूसरों के बारे में, आने वाली पीढ़ियों के बारे में नहीं सोचा।
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