राकेश टिकैत ने कहा कि, मजदूरों और किसानों को कुछ नहीं दिया गया है। वहीं बजट में किसानों का कर्ज बढ़ाने की बात कही गई है।
Rakesh Tikait News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में किसानों की मांगों को लेकर चल रहे भारतीय किसान यूनियन के अनिश्चितकालीन धरने का गुरूवार को छटा दिन है। बता दें कि, बुधवार को निर्मला सितारमण ने संसद में बजट पेश किया था, जिस बजट को अमृतकाल का पहला बजट बताया जा रहा है। इस बजट पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने नाराजगी जाहिर की है। राकेश टिकैत ने कहा कि, ‘बजट में किसान, मजदूर और आदिवासियों के लिए कुछ नहीं है। तो वहीं, बजट में किसानों का कर्ज बढ़ाने की बात कहीं है।‘ राकेश टिकैत ने आगे कहा कि, ‘इस बजट से सिर्फ कंपनियों को फायदा होगा और किसानों का कर्ज बढ़ेगा।‘
अगर राकेश टिकैत की बात मानें तो इनकम टैक्स में छूट की सीमा 7 लाख तक बढ़ाने से कुछ लोगों को तो फायदा हुआ है। पर, गांवों में रह रहे मजदूरों और किसानों को कुछ भी नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि, ‘बजट में सिर्फ किसानों का कर्ज बढ़ाने की बात कही गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि, जो कंपनियां होंगी, इस बजट में सिर्फ उका फायदा होगा।‘ उन्होंने एग्री बेस्ट के नाम की बनी नई कंपनी का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘इस बजट से उन्हें जरूर फायदा होगा पर कियानों पर कर्जा बढ़ाया गया है।‘
साथ ही राकेश टिकैत ने बीजेपी की ओर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘बीजेपी वाले तो धर्म का झगड़ा करवाएंगे ही। इनका तो काम ही यहीं है, सारे हिंदू उधर चले गए।‘ राकेश टिकैत ने सवाल उठाया कि, ‘अब हिंदू संगठन वाले क्या कर रहे है. सारे हिंदू बौद्ध धर्म की ओर जा रहे हैं। मंदिरों के कपाट सबके लिए खुलने चाहिए, क्योंकि मंदिर पूजा का स्थल है। पहले तो मंदिर सबके लिए होते थे। पर आज के वक्त में मंदिर भी अलग अलग हो रहे हैं। ऐसी योजनाएं पूरी न होने पर बस आपस में झगड़े ही होंगे। और हां, मैं इन विवादों से बदुत दूर हूं।‘
राकेश टिकैत ने कहा कि, ‘बजट में किसानों को तो कर्ज देने की बात कही गयी है। तो अब वह कर्ज किसान कैसे उतारेंगे। इसमें धीरे-धीरे उनकी जमीन जाएगी। इस साजिश का मुझे पहले से ही अंदाजा था। बजट में कृषि उत्पादों का भाव बढ़ना चाहिए था, या फिर एमएसपी गारंटी कानून बनना चाहिए था। पानी के ऊपर भी चर्चा हो सकती थी, पर इन मुद्दों पर बजट नहीं है। जहां पानी मोल मिलेगा, तो वहीं बिजली के रेट हाई होंगे पर फसलों की कीमत कम रहेगी। सरकार की ऐसी कुछ साजिस है।‘
राकेश टिकैत ने कहा कि, ‘आज तो किसान सरकार से अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा है। किसान की तो जान ही बच जाए, वही बहुत बड़ी बात है। साथ ही उन्होंने कहा कि, क्या गांव में खेल के मैदान के लिए सरकार ने कुछ किया। बजट में बच्चों के खेल के लिए कुछ नहीं है।’
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