RamcharitManas Row: रामचरितमानस मामले में सुभसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। आज वो गोरखपुर में रहे जहां पर उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए रामचरितमानस मामले में अपनी बातों को रखा। उन्होंने कहा कि इस देश की व्यवस्था को ठीक करने, बेरोजगारी और महंगाई को दूर करने की बात सभी राजनीतिक दल और राजनेता करते हैं लेकिन इस पर मिल बैठकर सर्वदलीय रूप में कभी भी चर्चा नहीं करते।
जिन लोगों ने रामचरितमानस की चौपाई को लेकर आज बवंडर खड़ा किया हुआ है, उनकी बुद्धि विनाश काले विपरीत हो गई है, उनका इशारा समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और उसके मुख्य अखिलेश यादव की तरफ था। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि जब सपा के लोग सत्ता में थे तब रामचरितमानस की चौपाई को हटाने के लिए उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया।
सत्ता जाने की बौखलाहट में यह सब कर रहे हैं जिसका इन्हें कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। खुद समाजवादी पार्टी के दर्जनों विधायक स्वामी के बयान के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं इससे समाजवादी पार्टी को कहीं कोई लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के मसले पर भी सपा और उसके मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधा। ओपी राजभर ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने 90 से अधिक जातियों के पक्ष में फैसला नहीं लिया, जिससे पिछड़ों का हक आज भी छीना जा रहा है।
ओपी राजभर ने देश की राजनीतिक व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि गांव में रहने वाली गरीब और कमजोर जनता, मुफ्त बिजली कनेक्शन लेकर आज हजारों रुपए के कर्ज के बोझ तले दबी है। उनपर बिल भरने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जबकि देश के नामी उद्योगपति हजारों करोड़ का लोन भरते नहीं और डिफाल्टर होकर इससे बच निकलते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऐसे बिजली उपभोक्ताओं और देश के अन्नदाता किसानों के भी कर्ज और बकाया माफ होने चाहिए। जिससे लगे की सरकारें गरीबों और असहाय लोगों के साथ खड़ी हैं।
उन्होंने रामचरितमानस और उसकी चौपाई को लेकर चल रहे विवाद पर चलते चलते फिर कहा कि संविधान में भी जिस शूद्र शब्द का उल्लेख नहीं है उसकी चर्चा बेवजह करना ठीक नहीं है। इस बात पर वह मायावती के साथ खड़े नजर आए। उन्होंने कहा कि देश प्रदेश में जब भी उन्हें सत्ता में आने का अवसर मिलेगा तो शिक्षा में समानता लाने का पूरा प्रयास होगा और परास्नातक तक मुफ्त शिक्षा देने की कोशिश होगी।
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