India News (इंडिया न्यूज), Shootout in Train: सोमवार को जयपुर- मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन में आरपीएफ कांस्टेबल चेतन द्वारा की गई घटना को लेकर उनके पैतृक गांव मीतई में भी अब चर्चाएं शुरू हो गई है। हर कोई यही चर्चा करते नजर आ रहा है कि आखिर चेतन ने ऐसा किया क्यों। जो सौम्य व्यवहार के चेतन ने गोलीबारी कर दी। हर कोई इसके पीछे की वजह जानने को आतुर नजर आया। लोग अपने अपने माध्यमों से चेतन के बारे में जानने में जुट गए।
बता दें कि लोगों ने हादसे के बाद मथुरा में चेतन के परिजनों से भी संपर्क करना शुरू कर दिया है। वहीं चेतन के दोस्तों को फोन करके इस घटना की जानकारी हासिल की जा रही है। लोगों के मन में एक ही सवाल रह रह कर आ रहा है की आखिर चेतन को इतना गुस्सा आया क्यों। जिस गुस्से ने ट्रेन में यात्रियों की जान की परवाह न करते हुए गोलीबारी कर दी। उसने यात्रियों को जान से मारने के पहले एक शब्द भी नहीं सोचा। वहीं परिजन भी इस घटना को लेकर चेतन से वजह जानना चाहते हैं।
हाथरस के रहने वाले चेतन के पिता बच्चू सिंह भी आरपीएफ रतलाम में एसआई के पद पर तैनात थे। बच्चू सिंह की मौत वर्ष 2007 में हार्ट अटैक के कारण हो गई थी। इसके बाद बड़े बेटे होने के कारण चेतन को वर्ष 2009 में पिता की जगह आश्रित कोटे से नौकरी मिल गई। वहीं चेतन के परिवार की बात करें तो उसकी एक बेटी और एक बेटा है। चेतन के बेटे का नाम सारांश जो कि (8)वर्ष का है और बेटी काव्या जिसकी उम्र (6) साल बताई जा रही है। चेतन मां और पत्नी रेनू के साथ मथुरा में रहते थे। अपने पिता की मौत के बाद चेतन अपने परिवार के साथ मथुरा शिफ्ट हो गए। चेतन का एक छोटा भाई लोकेश और एक बड़ी बहन बबली है। वहीं लोकेश पैशे से गाड़ी चालक है और निजी गाड़ी चलाता है।
अगर चेतन के पैतृक गांव की बात करें तो मीतई में ताऊ दिनेश और चाचा भगवान सिंह उनके पैतृक गांव में रहते हैं। दोनों ही रेलवे से रिटायर्ड है। चाचा महेंद्र पाल सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं और वह भी मीतई में रहते हैं। वहीं उनकी एक चाचा दलपत सिंह प्राइवेट नौकरी करते हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व में चेतन के पिता बच्चू सिंह नौकरी के चलते अपने गांव से रतलाम जाकर रहने लगे थे।
उनके परिजनों और दोस्तों ने बताया की चेतन फुटबॉल का बेहतरीन खिलाड़ी है। वहीं चेतन को रेलवे की ओर से कई स्थानों पर भी गया है। यही नहीं चेतन को खेल मंत्रालय की ओर से होने वाले खेलों में भी अपना प्रदर्शन दिखाने का मौका मिला। और अगर उनके उपलब्धि की बात करें तो चेतन ने कई मेडल जीतकर गांव के साथ रेलवे का भी मान बढ़ाया है।
कॉन्स्टेबल चेतन के परिजन बताते हैं कि चेतन अपने पैतृक गांव कम ही आया करता था। वह अपने चाचा की बेटी की शादी में भी गांव नहीं आया। जब परिजनों से इस बारे में सवाल पूछा गया तो वह बताते हैं शायद छुट्टी ना मिलना भी एक कारण रहा हो। जब उनके ताऊ भगवान सिंह से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले चेतन अपने गांव आया था। चेतन का स्वभाव बिल्कुल मृदुल था।