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UP Politics : स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिखाया तेवर- बोले धर्म के नाम पर नहीं होने देंगे पिछड़ों और दलितो का अपमान

• LAST UPDATED : January 29, 2023

UP Politics: स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयान को लेकर अडिग है। उन्होंने अपने बयान को दलितों और पिछड़ों को धर्म से जोड़ कर देखने को कहा है। उन्होंने अपने बयान को लेकर कहा कि धर्म के नाम पर जो अपमान पिछड़ो का और दलितो का हो रहा है उसके लिए वो हमेशा लड़ाई लड़ेंगे। बयान को लेकर बीजेपी उनपर हमलावर है। बीजेपी का कहना है उन्होंने खुद ये बयान नहीं दिया है बल्कि सपा ने दिलाया है। कल स्वामी प्रसाद मौर्य से सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मुलाकात की थी। ये मुलाकात सपा कार्यलय पर करीब 1 घंटे चली थी। सपा मुखिया से मिलने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि अखिलेश यादव पार्टी के मुखिया है और सही समय आने पर वो अपनी बातो को रखेंगे।

स्वामी प्रसाद मौर्य के तेवर

स्मामी प्रसाद मौर्य अपने बयान पर अडिग हैं। स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूँगा, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलती उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा। जानकारी हो कि इससे पहले भी स्वामी प्रसाद ने ट्वीट किया था और कहा था कि चाहें कैसी भी धमकी मिले वो दलितों और पिछड़ों के हक के लिए लड़ते रहेंगे।

स्वामी के बयान पर राजनीति

स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले रविवार को रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था। जिसके बाद देश भर में उनके खिलाफ विरोध शुरू हो गया। स्वामी को बयान को लेकर बीजेपी ने सपा पर निशाना साधा। बीजेपी ने पूछा था कि क्या जो बयान उन्होंने दिया है वो निजी है या फिर पार्टी का है। हालांकि समाजवादी पार्टी ने कहा है कि ये उनका बयान है पार्टी का इससे कोई लेना देना नही है। अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले में कुछ बोला नही है। बीजेपी का कहना है कि अखिलेश यादव स्वामी को इस बयान के लिए पार्टी से निकाला क्यों नही।

ये है पूरा मामला

स्वामी प्रसाद मौर्य ( सपा नेता ) ने कहा था कि रामचरित मानस किताब को सरकार को बैन करना चाहिए। उसमे कई वाक्य और दोहा ऐसे हैं जो कि सही नही है। सरकार को इस किताब पर बैन लगा देना चाहिए। वही उनके इस बयान के बाद देश में सियासी भूचाल सा आ गया है। बीजेपी ने कहा कि ये सपा नेता का नही बल्कि समाजवादी पार्टी का बयान है, सपा हमेशा तुष्टीकरण की राजनीति में विश्वास रखती है।

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