इंडिया न्यूज, चेन्नई।
तमिलनाडु विधानसभा में 25 अप्रैल, 2022 को एक बिल पास करते हुए राज्यपाल यानी कुलाधिपति से विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने का अधिकार छीन लिया है। बिल के अनुसार, राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति का अधिकार अब सरकार के पास होगा, न कि राज्यपाल के पास। तमिलनाडु में जब से सीएम स्टालिन की डीएमके की सरकार बनी है, तबसे विधानसभा में प्रस्तावों के जरिये केंद्र सरकार की व्यवस्थाओं और प्रशासनिक प्रणालियों को चुनौती दी जा रही है।
तमिलनाडु सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने प्रारंभिक चरण में विधेयक का विरोध किया। वहीं, मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक यानी एआईडीएमके के विधायक ने कांग्रेस विधायक दल के नेता के सेल्वापेरुन्थगई की ओर से एआईडीएमके की नेता एवं दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता से संबंधित टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए विधेयक के पारित होने से पहले सदन से वॉकआउट किया।
इससे पहले राज्य विधानसभा में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूईटी के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था और अब विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल से छीनने के लिए प्रस्ताव पास किया गया है। हालांकि, पहले के दोनों प्रस्ताव राज्यपाल और राष्ट्रपति की ओर से खारिज कर लौटा दिए गए थे।
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