कुकरैल घड़ियाल सेंटर लखनऊ से लाकर महराजगंज जिले में स्थित नारायणी नदी में बीते दिन लाकर छोड़े गए हैं। वहीं घड़ियाल नदी की शोभा बढ़ाने में लगे हुए हैं। पर्यटकों को खुश करने के साथ घड़ियालों की और संख्या बढ़े उसके लिए वन विभाग की तरफ से लगातार प्रयास किया जा रहा है।
नारायणी नदी के टेल फॉल के नजदीक ठोकर संख्या नंबर एक पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार और पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ तथा डीएफओ पुष्प कुमार के निगरानी में घड़ियाल के 120 बच्चों को नदी में छोड़ा गया है। जिसमें 15 नर और 105 मादा मौजूद हैं। 60 घड़ियाल के बच्चे दो वर्ष के थे। 60 तीन से चार वर्ष के बीच के हैं। छोड़े सारे घड़ियालों की औसतन लंबाई 120 से 180 सेंटीमीटर बताई जा रही है।
एफओ पुष्प कुमार कंधला का कहना है कि जिस तरह से जंगल में शेर की उपस्थिति स्थलीय पारिस्थिति के स्वस्थ होने का जरिया है। ठीक उसी तरह जलीय पारिस्थिति के स्वस्थ होने का सबसे बड़ा प्रमाण घड़ियाल होता है। घड़ियाल के लिए स्वच्छ जल व धारा युक्त जल अनुकूल होता है। मौजूदा टाइम में इनकी प्रजातियों में हो रही भारी कमी के चलते इनके अस्तित्व पर संकट आने लगा है।
बता दें कि मगरमच्छ की ही तरह दिखाई देने वाले घड़ियाल हिंसक जीव की तरह नहीं होते हैं। वहीं मगरमच्छ हिंसक रूप में होते हैं। घड़ियाल अपने आने वाले टाइम पर ही फरवरी में ही अंडे देते हैं।
पहले भी छोड़े गए 55 घड़ियाल
रेंजर सुनील राव ने बताया कि 4 अक्तूबर 2018 को नारायणी नदी के टेल फॉल पर वन्य प्राणी सप्ताह में कार्यक्रम आयोजित कर 15 घड़ियाल के बच्चे छोड़े गए थे। वहीं 18 मार्च 2019 को दूसरी बार नारायणी नदी में आठ नर और 32 मादा सहित कुल 40 घड़ियाल के बच्चें छोड़े गए थे।