समाजवादी पार्टी ने रामचरित मानस की चौपाई के नाम पर बंटवारा कर पिछड़ों को पक्ष में लाने की इस चाल से अपने आप को पीछे खींच लिया हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में धार्मिक पुस्तकों और धर्म से जुड़े साधुओं पर तंज कसने से खुद को बचाने से समाज में किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा।
जानकारी दें कि पार्टी में दो गुट बन गया है एक स्वामी प्रसाद के बयान का सहयोग करता है। वहीं दूसरा विरोध करता है। इन्ही सब के बीच स्वामी प्रसाद लगातार किसी न किसी मुद्दे पर टिप्पणी करते नजर आए। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने विवादित बयानों की समीक्षा करते दिखे। जिसमें फयदा कम, नुकसान ज्यादा दिखाई दी। इन चीजों को देखते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी में धार्मिक के प्रति विवादित बयान देने से बचने का संदेश दिया है।
वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को मंच पर जगह नहीं दी गई। इसे ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी जैसे मंच पर विवादित मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने से बचने के तरीके से देखा जा रहा है। जबकि मौर्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मौजूद दिखाई दिए।
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