India News (इंडिया न्यूज),UP News: अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 देशों की यात्रा से होकर आए हैं। इन्हीं तीन देशों में एक ऑस्ट्रेलिया भी शामिल था। वो भी तस्वीरें हम सबने देखी। दरअसल 23 मई को पीएम मोदी ने सिडनी के कुडोस बैंक एरिना में भारतीय मूल के 20 हजार से ज्यादा लोगों को संबोधित किया। इस दौरान पीएम ने कहा भारत-ऑस्ट्रेलिया का रिश्ता भरोसे और सम्मान पर टिका है। मोदी ने कहा- मैंने पिछले दौरे के वक्त 2014 में वादा किया था कि ऑस्ट्रेलिया को फिर किसी भारतीय PM के लिए 28 साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उनके संबोधन में जो सबसे जरूरी बात रही वो ये थी कि उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के स्टुडेंट्स दोनों देशों को और पास लाने एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया के PM अल्बनीज ने मोदी की तारीफ में कहा था- ‘मोदी इज द बॉस’। PM मोदी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। अब यहां सवाल उठता है कि आखिर एक दोस्त ने दूसरे दोस्त को क्यों दगा दिया। आखिर क्या वो कारण रहे की प्रधानमंत्री को ऑस्ट्रेलिया से आए 4 दिन भी नहीं बीते की। की ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भारत के 6 राज्यों के छात्रों को अपने यहां आने से बैन कर दिया। आज हम इस वीडियो में उसी पर बात करने वाले हैं। एक आंकड़े के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया को 2020 में भारतीय छात्र से होने वाली कमाई 35 हजार करोड़ रूपए थी। वहीं 2014 में ये कमाई महज 8 हजार करोड़ रूपए थी।
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया की कई यूनिवर्सिटीज ने भारत के 6 राज्यों के छात्रों के एडमिशन पर बैन लगा दिया है। ऑस्ट्रेलियन न्यूज पेपर सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया की 2 बड़ी यूनिवर्सिटी ने अपने एजुकेशन एजेंट्स को पिछले हफ्ते एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, और जम्मू-कश्मीर के छात्रों का दाखिला नहीं लेने का एक आदेश दिया। फिर से सवाल वही कि आखिर क्यों? तो हम बता दें आपको कि ऑस्ट्रेलिया में मिनिमम लेबर कॉस्ट 1800 रुपए प्रति घंटा है। जी हां आपने सही सुना 1800 रूपए प्रति घंटा। यानि भारत में एक मजदूर को 8 घंटे की मजदूरी के रूप में लगभग 500 रूपए मिलते हैं तो वहीं ऑस्ट्रेलिया में इतने ही घंटे काम करने करने के उन्हें 14400 रूपये मिलते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि जिसके चलते भारत से स्टूडेंट वीजा लेकर लोग वहां पढ़ाई करने के बजाय नौकरी करने लग जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया का होम अफेयर डिपार्टमेंट छात्रों की वीजा एप्लिकेशन लगातार खारिज कर रहा है। पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया की 4 यूनिवर्सिटी ने भारतीय छात्रों पर आरोप लगाते हुए ये कहा था कि वो स्टूडेंट वीजा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने अपने तर्क में कहा था कि ये लोग स्टूडेंट वीजा पढ़ने के लिए लेते हैं लेकिन पढ़ने के बजाय नौकरी करने लगते हैं। इसके अलावा इन यूनिवर्सिटी ने ये भी कहा कि कई छात्र ऐसे हैं जो पढ़ाई बीच में छोड़ नौकरी करने लग जाते हैं। होम अफेयर्स डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत से आने वाली हर 4 में से 1 स्टूडेंट वीजा की एप्लिकेशन फ्रॉड है।
सिडनी हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने विदेशी स्टूडेंट्स के काम करने की पॉलिसी में अहम बदलाव किया था। जिसके बाद से स्टूडेंट वीजा की मांग और तेजी से बढ़ी है। अब हुए इस नए बदलाव के कारण ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने जाने वाले विदेशी छात्रों के काम करने पर लगी लिमिट को हटा दिया गया था। यानी अब छात्र कितने घंटे भी काम कर सकते हैं लेकिन अब अल्बनीज सरकार फिर से नीतियों में बदलाव करने जा रही है। ये पाबंदी उशी को देखते हुए माना जा सकता है।
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