Nikay Chunav
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर बड़ा फैसला दिया है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए तत्काल नगर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार की दलीलों को नहीं माना है। इस बीच सरकार की तरफ से पहली प्रतिक्रिया आई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि पिछले वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। वहीं, अपना दल भी इस फैसले से सहमत नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।
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निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला
बिना ओबीसी आरक्षण के होगा चुनाव: हाईकोर्ट
'जब तक ट्रिपल टेस्ट ना हो, तब तक आरक्षण नहीं'
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ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा
कोर्ट में सुनवाई चलते रहने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग के अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने कहा है कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा। कोर्ट ने बिना आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए। मामले में याची पक्ष ने कहा था कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।
जिस पर राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने जवाबी हलफनामे में कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। सरकार ने ये भी कहा था कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है? इस पर सरकार ने कहा कि 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।
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निकाय चुनाव का मामला
यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी : सूत्र
हाईकोर्ट के फैसले को देगी चुनौती: सूत्र
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अध्ययन के बाद होगा अंतिम फैसला
डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा कि नगर निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। लेकिन पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
इसी बीच चर्चा है कि यूपी सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। कहा जा रहा है कि आज शाम सीएम योगी एक अहम बैठक कर सकते हैं, जिसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
यूपी सरकार में सहयोगी अपना दल (एस) ने भी कहा है कि अदालत के फैसले से वह सहमत नहीं हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री आशीष पटेल ने कहा है कि जरुरत पड़ी तो उनकी पार्टी अपना दल (एस) इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
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