UP Politics: देश भर में 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि का महापर्व की शुरुआत होने जा रही है। इसको लेकर प्रदेश की योगी सरकार अलग स्तर की तैयारियों में जुट गई हैं। आन वाले इस पर्व पर सरकार मंदिरों में व शक्तिपीठों में दुर्गा सप्तशती का पाठ, देवी गायन, देवी जागरण, झांकियों व अखंड रामायण पाठ का आयोजन करने की तैयारी में है। इसको लेकर राज्य सरकार ने दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। अब इस फैसले पर विपक्षियों के अलग अलग बयान सामने आ रहें है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसको लेकर कहा कि सरकार को सभी धर्मों के प्रति अपना योगदान देना चाहिए तो वहीं
स्वामी प्रसाद मौर्य ने मैनपुरी में कहा कि अब पूरे देश में लोग अपने आप रामचरितमानस का पाठ करना बंद कर दिया इसलिए सरकार अपने खर्चे से रामचरितमानस का पाठ कराने के लिए मजबूर हो रही है। जो रामचरितमानस का पाठ पढ़ाने की बात कर रहे हैं वो इस देश की महिलाओं आदिवासियों दलितों और पिछड़ों के सम्मान के दुश्मन है। उन्होंने कहा कि किसी भी पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक सरकार को एक धर्म विशेष को बढ़ावा देना संविधान के निर्देशों का उल्लंघन है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं एक ही धर्म को बढ़ावा क्यों कि सरकार सब की है।
स्वामी प्रसाद ने कहा कि अगर सरकार को बढ़ावा देना ही है तो सभी धर्मों को समान रूप से बढ़ावा देने के लिए अपने सरकारी कोष से धन देने का काम करें उसका हम स्वागत करेंगे। लेकिन आज जो पूरी दुनिया में विवादित महाकाव्य तुलसीदास की रामचरितमानस जिसमें इस देश की महिलाओं को प्रताड़ित करने शुद्र समाज को अपमानित और प्रताड़ित करने शुद्र समाज की तमाम जातियों को जाति सूचक शब्दो का प्रयोग कर नीच और अधर्म कहने का काम करती है। उसका पाठ कराने का मतलब है यह सरकार देश की महिलाओं आदिवासियों दलितों और पिछड़ों को अपमानित करने की परिधर है। जिनके सम्मान की दुश्मन है इसलिए इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सरकारी खजाना खोल दिया।
मौर्य ने कहा कि प्रदेश का एक बहुत बड़ा मठाधीशवर स्वयं माननीय मुख्यमंत्री जी है तो उनको तो को इसपर विशेष कार्य करना चाहिए था। लेकिन यह करके दिखावे छलावे के रूप में रूप में उस महाकाव्य का पाठ करने जा रहे हैं जो इस देश की महिलाओं दलितों आदिवासियों और पिछड़ों को अपमानित करती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति से मिलने तो कोई भी जा सकता है और सभी को अपने अपने धर्म के अनुसार आचरण करना चाहिए।इसमें किसी भी तरीके का कोई भेदभाव नहीं है। लेकिन धर्म का आचरण सरकार जबरदस्ती करा रही है चिंता का विषय यह है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि स्वाभाविक रूप से जब हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष की कल्पना करता है हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब यहां पर रहते हैं। इस देश की आजादी में सभी का योगदान था।आज किसी एक धर्म को बढ़ावा देने का मतलब है कि पक्षपात करना हिंदू राष्ट्र की मांग करना। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान है। इस देश के शहीदों का अपमान है। भारतीय संविधान निर्माताओं का अपमान है और साथ ही साथ इस देश में एक नई परंपरा की शुरुआत होने जा रही है। अगर आज कोई हिंदू राष्ट्र की बात करेगा तो कल कोई खालिस्तान की मांग कर सकता है। कल कोई मुस्लिम देश की मांग कर सकता है।कोई बौद्ध राष्ट्र की मांग कर सकता है। कोई किसी भी राष्ट्र की मांग कर सकता है हम समझते हैं यह राष्ट्र हित में नहीं है।
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