UP Politics: अप्रैल मई में होने वाले निकाय चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बीएसपी सक्रीय हो गई है। बीएसपी सुप्रीमों ने आज शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखवीर सिंह बादल और उनकी पत्नी व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रही हरसिमरत कौर बादल से मुलाकात की। इस मुलाकात के कई मायने हैं। बताया जा रहा है कि मुलाकात में अगले लोकसभा आमचुनाव में पुराने आपसी गठबंधन की मजबूती तथा बेहतर मेलजोल व तालमेल बनाए रखने आदि के सम्बंध में सौहार्दपूर्ण वातावरण में आगे की रणनीति पर विस्तार से बातचीत की गई।
इस मुलाकात के बाद मायावती ने तस्वीर पोस्ट की है। मायावती और सुखवीर सिंह बादल और उनकी पत्नी व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रही हरसिमरत कौर बादल की मुलाकात ने यूपी की राजनीति में एक अलग हलचल पैदा कर दी है। इस मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि मायावती आगामी चुनाव के मद्देनजर तैयार हो गई हैं।
इस मुलाकात के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई जिसमे कहा गया कि दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व में शुरू से ही इस बात को लेकर आम सहमति थी कि पंजाब विधानसभा आमचुनाव की तरह ही आगामी लोकसभा आमचुनाव के दौरान भी दोनों पार्टियों के बीच पूरी एकता, एकजुटता व समन्वय हर हाल में बरकरार रहनी चाहिए।
विरोधियों की लाख षड्यंत्रकारी कोशिशों के बावजूद शिअद- बीएसपी गठबंधन को गाँव-गाँव में मजबूत बनाकर, वादाखिलाफी नहीं बल्कि पूरी तरह से वादा निभाने वाली पंजाब की मनपसन्द गठबंधन बनने का अपना प्रयास लगातार जारी रखना है, ताकि आप पार्टी, कांग्रेस एवं बीजेपी के वादाखिलाफी के चंगुल से लोगों को मुक्ति मिल सके।
इस मुलाकात को लेकर मायावती ने कहा कि पंजाब को छोड़कर अब तक के ज्यादातर रहे खराब अनुभवों को ध्यान में रखकर बी।एस।पी। ने आगे विधानसभा व लोकसभा आम चुनाव अकेले ही अपने बल पर लड़ने का फैसला लिया है, जिसे अकाली नेताओं ने सराहा और बी।एस।पी। के भरोसे पर खरा उतरने के लिए पूरी जी जान से जमीनी स्तर पर काम करने का यकीन दिलाया।
इस बैठक में पंजाब की आप पार्टी की सरकार के कार्यकलापों की समीक्षा के दौरान पाया गया कि पंजाब की जनता, पिछली कांग्रेस पार्टी की सरकार की तरह ही फिर से दुःखी है, क्योंकि आम जनहित के जो ख़ास चुनावी वादे लोगों से किए गए थे उन पर सही से अमल नहीं किया जा रहा है, जो उनके साथ फिर से वादाखिलाफी वाली अच्छी बात नहीं है। चाहे पंजाब को नशा के अभिशाप से मुक्त करने व इसके अवैध धंधे को समाप्त करने की बात हो, कानून-व्यवस्था में सुधार अथवा गरीबों, मजदूरों व किसान समाज आदि के हित व उनके उत्थान की बात हो, ज़मीनी स्तर पर वादाखिलाफी होती चली जा रही है।
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