UP Politics: अडानी समूह इन दिनों चर्चा में है। अडानी ग्रुप के शेयर को लेकर पिछले दिनों अमेरिका में छपी रिपोर्ट में कहा गया कि इसका शेयर निगेटिव में जा रहा है। इस खबर के सामने आने के बाद उन सभी लोगों की चिंता बढ़ गई है। जो अडानी ग्रुप में अपने पैसे लगाए है। इस मामले पर बसपा सुप्रीमों ने सरकार से सवाल किए हैं। वहीं मायावती का कहना है कि इस मामले पर 31 जनवरी से शुरु होने बजट सत्र में चर्चा की जाए। सरकार को इसपर पक्ष रखना चाहिए।
मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि देश में पिछले दो दिनों से गणतंत्र दिवस से ज्यादा प्रमुख अदाणी उद्योग ग्रुप के सम्बंध में अमेरिकी फर्म हिण्डनबर्ग की आई निगेटिव रिपोर्ट व उसका शेयर बाजार पर व्यापक बुरा प्रभाव आदि काफी चर्चाओं में है। सरकार चुप है जबकि देश के करोड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई उससे जुड़ी हुई है।
आगे उन्होंने कहा कि शेयरों में धोखाधड़ी आदि के आरोपों के बाद अदाणी की सम्पत्ति में 22.6 अरब डालर की कमी व उनके विश्व रैंकिंग घटने से ज्यादा लोग इससे चिन्तित हैं कि सरकार ने ग्रुप में जो भारी निवेश कर रखा है उसका क्या होगा? अर्थव्यवस्था का क्या होगा? बेचैनी व चिन्ता स्वाभाविक। समाधान जरूरी।
मायावती ने आगे ट्वीट करते हुए लिखा कि संसद के 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के प्रारंभ में ही सरकार को इस मुद्दे पर विस्तार से स्वयं ही वक्तव्य सदन के दोनों सदन में रखना चाहिए ताकि पूरे देश में व खासकर अर्बन मिडिल क्लास परिवारों में आर्थिक जगत तथा अदाणी ग्रुप आदि को लेकर छाई बेचैनी व मायूसी थोड़ी कम हो सके।
अमेरिका में फोरेंसिक ऑडिट फर्म Hindenburg Research की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमे कहा गया है कि अडानी ग्रुप का शेयर कुछ दिनों में ही धड़ाम हुए हैं। अब इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सभी वो लोग चिंतित हैं जिन्होंने शेयर में अपने पैसे लगाए हैं। हालांकि अडानी ग्रुप ने इस मामले पर सफाई दी है। अडानी ग्रुप का कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने गलत इरादे से बिना कोई शोध किए और बिना पूरी जानकारी के ही समूह के खिलाफ 24, जनवरी 2023 को रिपोर्ट प्रकाशित की है।
इस रिपोर्ट से अडानी ग्रुप और उसके निवेशकों पर गलत प्रभाव पड़ा है। रिपोर्ट सामने आने के बाद भारतीय शेयर बाजार में काफी ज्यादा उतार चढ़ाव आया है ऐसे में ये एक चिंता की बात है। जानकारी हो कि इस रिपोर्ट को लेकर अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग रिसर्च को खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए विकल्प की तलाश कर रहा है। माना जा रहा है कि ये ग्रुप कोई कानूनी मदद लेकर इस प्रकाशित रिपोर्ट पर केस कर सकता है।
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