UP Politics: स्वामी प्रसाद मौर्य हर बार सियासी विरोधियों के लिए विवादित बयान देकर आक्रमण होते रहे है। 25 साल से ज़्यादा वक्त तक यूपी में पिछड़े वर्ग के नेता के तौर पर वो सक्रिय रहे है। पर फिर भी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयान की वजह से चर्चा में हैं.
रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी कर के समाजवादी पार्टी (SP) के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने करोड़ो लोगों की आराध्या राम की कथा रामचरितमानस के कुछ अंशों पर बयान देकर न सिर्फ रामचरितमानस को दलितों और वंचितों के खिलाफ बताया। बल्कि उन्होंने कहा कि, ‘हर घर में रामचरितमानस को नहीं पढ़ा जाता’। साथ ही उन्होंने कहा कि, ‘तुलसीदास ने इस पुस्तक को अपनी खुशी के लिए लिखा था’। इस बयान के बाद ही स्वामी पर पुलिस केस दर्ज हो गया है। साथ ही हर तरफ विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। बता दें, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अभी तक इस बयान पर कुछ नहीं कहा है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2014 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) में रहते हुए भी उन्होंने हिंदुओं की विवाह परम्परा पर ही हमला बोला था। स्वामी प्रसाद का कहना था कि, हिंदू विवाह में गौरी गणेश की पूजा नहीं होनी चाहिए। जिसके साथ ही उन्होंने ये तर्क भी दिया था कि इससे दलितों को ग़ुलाम बनाया जाता है। 2017 में मीडिया के जरिए उन्होंने तीन तलाक का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि, मुस्लिम समुदाय के लोग तीन तलाक अपनी हवस मिटाने के लिए करते हैं। जिससे वो बीवियां बदलते रहे। इस विवादित बयान के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य की बहुत आलोचना हुई थी।
स्वामी प्रसाद मौर्य पूरे पांच साल तक बीजेपी के मंत्री रहे है लेकिन 2022 के विधानसभी के चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद ने बीजेपी छोड़ते ही पार्टी को ‘राम का सौदागर’ बता दिया था। स्वामी प्रसाद ने कहा कि, ‘बीजेपी वाले राम का सौदा भी कर लेते हैं, और राम को बेच भी देते है’। उनके इस बयान पर बवाल होने के बाद समाजवादी पार्टी ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया था।
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