UP Politics: कल राष्ट्रपति ने 13 राज्यों के राज्यपाल बदले थे। इस कड़ी में कई नए चेहरों पर जिम्मेदारी सौंपी थी। इसी में एक नाम जुड़ा था लक्ष्मण आचार्य का जिन्हें सिक्किम की जिम्मेदारी मिली। आचार्य 5 दशक से ज्यादा समय से बीजेपी में हैं। आचार्य की सादगी के लिए उन्हें जाना जाता है। आचार्य को पूर्वांचल के बड़े ओबीसी के नेता के तौर पर जाना जाता है।
सिक्किक ने नए राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य का जीवन काफी संघर्षों से गुजरा है। आचार्य मूल रूप से वाराणसी के रामनगर के निवासी है। वहीं रामनगर के सामान्य परिवार के आचार्य वर्ष 1973 में शिशु मंदिर में 35 रुपये प्रति माह की तनख्वाह की नौकरी शुरू की और दो वर्ष तक पैदल ही घर से स्कूल जाते रहे। यहीं से उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत की थी।
छात्र जीवन में ही वो बाल स्वयंसेवक के रूप में संघ से जुड़े और 1973 से 1975 तक भारतीय शिशु मंदिर रामनगर में आचार्य का दायित्व संभाला। वहीं 1975 के आपतकाल के दौरान उन्होंने अपनी एक सक्रिय भूमिका निभाई थी। वहीं उन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन में भाग भी लिया इस कारण उनको जेल भी जाना पड़ा था।
उन्होंने समजासेवा में अपना काफी योगदान दिया है। वहीं उन्होंने शिक्षा को पहली प्रथमिकता दी है। यही कारण रहा है कि सेवा अभियान के तहत आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल की शुरूआत की और वंचित वर्ग को शिक्षा से जोड़ने को अभियान चलाया।
वाराणसी के रहने वाले लक्ष्मण आचार्य को राष्ट्रपति ने सिक्किम का राज्यपाल बनाया है। इस बाबत उनको देश के अलग अलग हिस्सों से बधाईयां मिल रही है। प्रदेश से दो लोगों को राज्यपाल बनाया गया है जिसमें एक ब्राह्मण और दलित चेहरे का नाम शामिल है। सिक्किम के राज्यपाल बनाए जाने के बाद रविवार को लक्ष्मण आचार्यके रामनगर स्थित आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। तमाम नेता व कार्यकर्ता ने आचार्य की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की और शुभकामना दी। सीएम योगी और दोनो डिप्टी सीएम ने लक्ष्मण आचार्य को बधाई मिल रही है।
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