UP Budget Session 2023: उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने शुक्रवार को करीब दो दशक पहले के एक मामले में छह पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई। बता दें कि BJP के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन के नोटिस के संबंध में पुलिसकर्मियों पर यह कार्रवाई की गई। शुक्रवार को 12 बजे रात्रि के बाद यानी आज उन पुलिसकर्मियों को रिहा कर दिया गया। शुक्रवार को प्रश्नकाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सर्वसम्मति से सदन को अदालत के रूप में परिवर्तित कर दिया। उसके बाद कार्रवाई शुरू की और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से माने जाने के बाद सजा की घोषणा हुई।
वहीं एक तरफ जब इन छह पुलिसकर्मियों को सजा दी जा रही थी तो इस कार्यवाही के समय नेता सदन तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सदन में मौजूद नहीं थे। इसके साथ ही राज्य के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के सदस्य भी सदन में मौजूद नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में दोनों दलों के सदस्यों ने समाजवाद पर मुख्यमंत्री की पिछले दिनों की गयी टिप्पणी को लेकर सदन से बाहर थे।
तो वहीं दूसरी तरफ इस कार्यवाही के समय अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने सजा के मामले पर निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष को के फैसले को अपना समर्थन दिया। इसके साथ ही विशेष दीर्घा में सलिल विश्नोई बैठे हुए थे। जो इस समय विधान परिषद के सदस्य भी हैं।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने 2004 में जनप्रतिनिधि विश्नोई की पिटाई करने के मामले में इन पुलिसकर्मियों को सजा देने का प्रस्ताव सदन में रखा। हालांकि इससे पहले खन्ना ने विधानसभा अध्यक्ष से आरोपी पुलिसकर्मियों का पक्ष सुनने के लिए कहा। पुलिस वालों पर आरोप था कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान विश्नोई की पिटाई की थी।
आरोपी तथा तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद ने सदन से माफी मांगते हुए कहा कि ‘‘आप सभी का सादर चरण स्पर्श करते हुए कह रहा हूं कि राजकीय कार्य में जाने-अनजाने जो त्रुटि हुई, उसके लिए हमें क्षमा कर दें।’’एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हम लोगों से दायित्वों के निर्वहन के समय जो त्रुटि हुई उसके लिए क्षमा कर दें, भविष्य में कोई त्रुटि नहीं होगी।”
इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री खन्ना ने कहा, ‘‘सभी लोगों ने विनम्रतापूर्वक माफी मांगने का प्रयास किया है, लेकिन लोकतंत्र में विधायिका का सम्मान बना रहना बहुत जरूरी है। जो चुनकर प्रतिनिधि आते हैं वह जनता के हितों के लिए काम करते हैं, मगर इन्हें (पुलिस) अधिकार नहीं मिल जाता कि डंडा चलाएं और गाली दें।’