इंडिया न्यूज, Maharashtra News : महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे को लेकर सियासी दंगल तेज हो गई है। अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पांच दिनों के लिए मकबरे को बंद करने का फैसला लिया है। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने गुरुवार को दी। दो दिन पहले ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रवक्ता गजानन काले समेत कई नेताओं ने स्मारक पर सवाल उठाए थे। औरंगाबाद के खुलटाबाद इलाके में एक मस्जिद समिति ने जगह पर ताला लगाने की कोशिश की थी। इसके बाद एएसआई की तरफ से यह कार्रवाई की गई है। मनसे प्रवक्ता ने कहा था कि इस स्मारक को खत्म करने देना चाहिए। इसके बाद से ही एएसआई ने अतिरिक्त गार्ड्स की तैनाती कर दी थी।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के एक नेता के उस कथित बयान के बाद औरंगाबाद में स्थित औरंगजेब के मकबरे की अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था की गई है जिसमें उन्होंने कहा था कि मुगल बादशाह की आखिरी आरामग़ाह को ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए। एएसआई के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। दरअसल, मनसे के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा था कि यहां औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है इसलिए उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए ताकि लोग वहां न जाएं। हाल में एआईएमईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने औरंगजेब के मकबरे पर नमाज अदा की थी। इस पर महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ राज ठाकरे की मनसे ने भी ओवैसी की आलोचना की थी।
गजानन काले के ट्वीट के बाद कुछ लोगों ने खुल्दाबाद स्थित उस ढांचे में ताला लगाने की कोशिश की जहां औरंगजेब का मकबरा है। इस मकबरे की सुरक्षा एएसआई करती है। संपर्क किये जाने पर, एएसआई के औरंगाबाद परिक्षेत्र के अधीक्षक मिलन कुमार चौबे ने बताया कि कुछ लोग मकबरे में ताला लगाने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि संरचना को तोड़ने का प्रयास किये जाने की आशंका है। चौबे ने कहा कि लेकिन मैंने कहा कि जब तक एएसआई को लिखित में कुछ नहीं दिया जाता तब तक मैं उसपर कार्रवाई नहीं करूंगा। हमने स्मारक को खुला रखा है और वहां अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। हमने पुलिस को स्थिति से अवगत करा दिया है और उन्होंने एक सुरक्षा वैन भेजी है। ओवैसी इस माह के शुरू में औरंगजेब के मकबरे पर गए थे।
औरंगजेब की मृत्यु 1707 में हुई। तभी उनका यह मकबरा यहां पर निर्मित किया गया। शुरुआत में यह मकबरा मिट्टी से कच्चा बना हुआ था। लॉर्ड कर्जन ने अपने कार्यकाल के दौरान इस पर मार्बल चढ़ावाया। इस पर औरंगजेब का पूरा नाम लिखा हुआ है- अब्दुल मुजफ्फर मुईउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब। इस मकबरे के संदर्भ में यह बात प्रचलित है कि औरंगजेब की इच्छा थी कि उनकी अंतिम क्रिया उन पैसों से हो जो उन्होंने टोपियां और कुरान की प्रति लिखकर कमाए थे। इस काम से उन्होंने कुल 14 रुपए की कमाई की थी। उनकी यही अंतिम इच्छा थी कि उनकी मकबरा शेख जैनुद्दीन की दरगाह के पास हो और वह उन्हीं पैसों से निर्मित हो। इसीलिए उनके मकबरे की संरचना इतनी साधारण है। आइए जानते हैं इस मकबरे की संरचना कैसी है।
यदि इस मकबरे की भीतरी संरचना पर विचार करें तो हम पाएंगे कि औरंगजेब के इस मकबरे की वास्तु कला इस्लामिक और राजस्थानी है। यहां पर औरंगजेब के बारे में कुछ जानकारी संक्षिप्त में प्रदान की गई है। अतः औरंगजेब का मकबरा और शेख जैनुद्दीन की यह दरगाह दोनों इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। औरंगजेब के मक़बरे के पास ही उनके बेटे आजम शाह का मक़बरा है। और उन्हीं के पास में उनकी पत्नी और उनके भी बेटे की भी मकबरा स्थित है। महान मुगल शासक औरंगजेब के मकबरे के संदर्भ में पर्यटकों को कुछ सामान्य जानकारी पहले से ही जान लेनी चाहिए। औरंगजेब के इस मक़बरे में कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगती। इस मकबरे को घूमने के लिए पर्यटकों के पास लगभग एक से डेढ़ घंटे का समय ही होना चाहिए। उससे ज्यादा समय की मांग यह मकबरा नहीं करता।
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