अजीत मैंदोला, नई दिल्ली।
Women Safety Became an Issue in Elections : यूपी का चुनाव अंतिम दौर में पहुंचने वाला है। कौन जीतेगा, इसकी जानकारी तो 10 मार्च को ही होगी, लेकिन बीजेपी कानून व्यवस्था को मुद्दा बना महिला वोटरों को रिझाने में कामयाब होती दिख रही है। अगर महिला वोटरों बड़ा हिस्सा बीजेपी लेने में कामयाब होती है तो फिर वह आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी। (Women Safety Became an Issue in Elections)
हालांकि सपा नेता ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है अखिलेश की जनसभाओं में जिस तरह से भीड़ उमड़ रही है, उससे परिणाम चोंकाने वाले होंगे। यह लगभग तय है कि बीजेपी और सपा के बीच ही असल मुकाबला है। बसपा महज औपचारिकता निभा बीजेपी की मदद कर रही है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसकी कोशिश किसी तरह से 15-20 सीटें जीतने और अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने की है।
कांग्रेस 400 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसलिए वोट प्रतिशत जरूर बढ़ेगा। इतना जरूर है कि प्रियंका गांधी ने अकेले ही सही लेकिन चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक संघर्ष में कोई कमी नही रख रही हैं। इसमें कोई दो राय नही है कि अगर इस बार समाजवादी पार्टी चुनाव हारती है तो कांग्रेस के लिये अगली बार यूपी में मौका बनेगा। (Women Safety Became an Issue in Elections)
सपा सत्ता से बाहर लंबा संघर्ष नही कर पायेगी। बसपा की अगर करारी हार होती है तो वह ऐसे ही चलती रहेगी। इसलिये यूपी का चुनाव इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण हो गया है। बीजेपी, सपा और कांग्रेस ही गंभीरता से चुनाव लड़ते दिख रहे हैं। लेकिन रणनीति बीजेपी की कारगर होती दिख रही है। बीजेपी ने पहले चरण से ही सधी हुई रणनीति बनाई।
जानकार मान रहे हैं शहरों में बीजेपी लीड लेगी जबकि पश्चिम यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों सपा-लोकदल गठबंधन जीतेगा। पिछले दो दशक में पश्चिम उत्तर प्रदेश में शहरी क्षेत्रों की बढोत्तरी हुई है। जिसके चलते एक जाति का बर्चस्व खत्म हुआ है। शहरी क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा रहा है। (Women Safety Became an Issue in Elections)
बीजेपी जानती थी कि किसानों की नाराजगी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में नाराजगी है इसलिये शहरी इलाकों पर जोर दिया। जबकि दूसरी तरफ गठबंधन मुसलमान और जाट वोटरों पर निर्भर रहा। इसमें एक बात और निकल कर सामने आ रही है कि जाट मतदाताओं ने गठबंधन को वहीं वोट किया जहाँ लोकदल का उम्मीदवार था। सपा के उम्मीदवार से परहेज रखा। यदि यह सच निकलता है तो फिर गठबंधन के लिये अच्छी खबर नही है।
कहा जा रहा है शुरू के दो चरणों में कानून व्यवस्था का मुद्दा चलता देख उसे बाकी चरणों मे भी आगे बढाया। सपा के गढ़ आते ही आंतकवाद और परिवारवाद के मुद्दे को इसमें शामिल कर लिया।इसलिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे सभी बड़े नेताओं ने कानून व्यवस्था के साथ अलगाववाद ओर परिवारवाद को लेकर सपा को घेरा। (Women Safety Became an Issue in Elections)
जिसका युवा और महिलाओं पर असर की खबरें। सुरक्षा को लेकर महिलाओं का बीजेपी की तरफ रुझान बढ़ा है। हालांकि कांग्रेस की नेता भी महिलाओं और पिछड़ों से ही उम्मीद बांधे हुए हैं। परिणाम वाले दिन पता चलेगा कि कांग्रेस कितना कामयाब हुई। ऐसे संकेत हैं चुनाव के अंतिम चरण में बीजेपी राम मंदिर के मुद्दे को जोरशोर से उठाएगी।
(Women Safety Became an Issue in Elections)