Ramnagar में शुरू हुआ 2 दिवसीय सेमिनार का आयोजन, पर्यावरण को संरक्षित करने की पहल

(2-day seminar started in Ramnagar, initiative to preserve the environment) रामनगर (Ramnagar) में दो दिवसीय ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण मे निरंतरता,संभावनाएं,समस्याएं एवं चुनौतियाँ” पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमे जिले व बाहर से आये 200 से ज्यादा डेलीगेट्स ने प्रतिभाग किया। वहीं इस विषय मे जानकारी देते हुए रामनगर पीएनजीपीजी महाविद्यालय के प्राचार्य एमसी पांडे ने बताया कि आज का ये सेमिनार स्वास्थ व पर्यावरण को संरक्षित कैसे किया जा सकता है।

  • रामनगर में शुरू हुआ 2 दिवसीय सेमिनार का आयोजन
  • 200 से ज्यादा डेलीगेट्स ने प्रतिभाग किया
  • पर्यावरण को संरक्षित कैसे किया जा सकता है

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया

उन्होंने कहा कि पूर्व में भी हमारे विद्यायल को ग्रीन चैंपियनशिप में हमे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ग्रीन चैंपियन के रूप में, उसके बाद हमने मुख्यमंत्री नवाचार योजना में भी हिमालयन औषधि ज्ञान केंद्र की शुरुआत महाविद्यालय में की थी। उन्होंने कहा कि आज फिर विद्यालय कि एक पहल है। जिस पर सुब्स्टेबल इन हेल्थ और वेल ह्यूमन बीइंग पर चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व मे इस समय स्वास्थ व कल्याण एवं उसकी समस्या व चुनौतियों पर चर्चा हो रही है।

महिलाओं के साथ ही बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहे

वहीं सेमिनार में पहुंचे मैती आंदोलन के प्रेरणदायक पदमश्री कल्याण सिंह मैती ने कहा कि पहाड़ो पर महिलाओं के स्वास्थ व पर्यावरण को कैसे दुरस्त किया जाय कि हमारी महिलाओं के साथ ही बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। इसको लेकर एक प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रामनगर में स्वच्छता में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

हमारी जनसंख्या140 करोड़ से ऊपर

उन्होंने कहा कि जो ये विषय है ये बहुत गंभीर विषय है। जिस तरीके से हमारी जनसंख्या आज 140 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। जिसमे सभी को ऑक्सीजन,पानी और स्वस्थ शरीर चाहिए। उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण को संरक्षित करने की पहल हम सब को करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जो पहाड़ों पर चीड़ के पेड़ है। उन चीड़ के पेड़ों का वैज्ञानिक तरीके से दोहन कर वहां पर बाज आदि के पेड़ लगाने चाहिए।

हमें जैविक खेती की ओर भी बढ़ना

जिससे पानी की कमी से भी कहीं ना कहीं उभरा जा सकता है। वहीं उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर कहा कि आज पहाड़ की कई चीजें जो पहले मडुआ हुआ करता था, लोग नहीं खाते थे। लेकिन आज स्वास्थ वर्धक के रूप में मडुआ विदेशों में भी इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें जैविक खेती की ओर भी बढ़ना चाहिए।

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Sonal Pandey

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