India News (इंडिया न्यूज़),Rinky Upadhyay, Agra News: रंग-बिरंगे पक्षियों और घड़ियालों से गुलजार चंबल सेंचुरी अब जल्द ही डॉल्फिन सेंचुरी के नाम से भी प्रख्यात होगी। चंबल वाइल्ड लाइफ की डीएफओ आरुषि मिश्रा ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। इटावा के सहसों क्षेत्र का उन्होंने चयन किया है। जहां बड़ी संख्या में डॉल्फिन पाई जाती है। उन्होंने भारत सरकार को प्रजेंटेशन भी दी है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार का डॉल्फिन के संरक्षण पर काफी जोर है। वर्ष 1979 में घोषित हुए राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य 635 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। ये मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश तीन राज्यों को जोड़ता है। इसमें साल 2008 से घड़ियालों की प्राकृतिक हैचिंग हो रही है।
परिणामस्वरूप 2,176 घड़ियाल की संख्या पहुंच गई है। 878 मगरमच्छ के साथ उत्तर प्रदेश के इटावा तक करीब छह हजार दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं। वहीं चंबल सेंचुरी में संरक्षित राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन का कुनबा भी बढ़ा है। बाह और इटावा रेंज में 171 डॉल्फिन रिकॉर्ड की गई है। जो साल 2012 के सर्वे में महज 78 थीं। अब इन डॉल्फिन को संरक्षण करने के लिए केंद्र सरकार ने काशी और चंबल में सफारी बनाने का प्रस्ताव बनाया है। इसके लिए चंबल वाइल्ड लाइफ डीएफओ आरुषि मिश्रा ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। इसमें उन्होंने इटावा के सहसों का 20 किलोमीटर का दायरा चिह्नित किया है। इस स्थान पर 50 से 80 के करीब डॉल्फिन पाई जाती हैं। सैलानी यहां बैठकर डॉल्फिन को देख सकेंगे।
इंडिया न्यूज़ संवाददाता रिंकी उपाध्याय के मुताबिक डीएफओ आरुषि मिश्रा ने आगे बताया कि डॉल्फिन सफारी के लिए भारत सरकार ने दो स्थानों को प्रमुखता दी है। काशी और चंबल का प्रजेंटेशन भारत सरकार के पास पहुंचा है। जब चंबल का प्रजेंटेशन हुआ, तो चंबल की वास्तविक स्थिति देख सभी खुश थे। प्रथम दृष्टया आकर्षण भी चंबल थी। उन्होंने बताया कि पांच अक्तूबर-2009 में डॉल्फिन को राष्ट्रीय जीव घोषित किया था। साल 2012 में मेरी गंगा, मेरी सूंस अभियान के तहत प्रदेश की नदियों में इनकी गिनती कराई गई थी। संख्या 671 थी। जिसमें से 78 चंबल में थी। अब बाह रेंज में 24 और इटावा रेंज में 147 डॉल्फिन हैं।
वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जंगलों में जो स्थान बाघ का होता है। पानी में वही स्थान डॉल्फिन का होता है। डॉल्फिन की मौजूदगी पानी को स्वच्छ बनाती है। मादा डॉल्फिन का गर्भकाल नौ से 11 महीने का होता है। मार्च से अक्तूबर के मध्य में बच्चा देती हैं। दो से तीन साल में एक बार में एक ही बच्चा देती हैं। दो वर्ष तक मादा बच्चे की देखभाल करती है। इनका औसत जीवन 28 साल का होता है।
चंबल सेंचुरी में ईको टूरिज्म के बढ़ावे के लिए बहुत तेजी से कार्य हो रहा है। ऐसे में डॉल्फिन सेंचुरी चंबल सेंचुरी के ईको टूरिज्म में चार चांद लगा देगी। प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। भारत सरकार के समक्ष प्रजेंटेशन भी हो गई है। निर्णय आना बाकी है। चंबल वाइल्डलाइफ की पहल है कि देश-विदेश से ताजमहल देखने के लिए आने वाले सैलानी ताजनगरी में प्राकृतिक खूबसूरती भी देखें। उन्हें पूरा एडवेंचर मिले।
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