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Ayurvedic Treatment for Lump: किसी भी तरह की गांठ का आयुर्वेदिक उपचार

• LAST UPDATED : November 30, 2021

नेचुरोपैथ कौशल:
Ayurvedic Treatment for Lump: शरीर के किसी भी हिस्से में उठने वाली कोई भी गठान या रसौली एक असामान्य लक्षण है जिसे गंभीरता से लेना आवश्यक है। ये गांठ में पस या टीबी से लेकर कैंसर तक किसी भी बीमारी की सूचक हो सकती हैं। गठान अथवा ठीक नहीं होने वाला छाला व असामान्य आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।

जरूरी नहीं कि शरीर में उठने वाली हर गठान कैंसर ही हो। अधिकांशत: कैंसर रहित गठानें किसी उपचार योग्य साधारण बीमारी की वजह से ही होती हैं लेकिन फिर भी इस बारे में सावधानी बरतनी चाहिए। इस प्रकार की किसी भी गठान की जांच अत्यंत आवश्यक है ताकि समय रहते निदान और इलाज शुरू हो सके।

ऑपरेशन के डर से नहीं जाते डॉक्टर के पास Ayurvedic Treatment for Lump

चूंकि लगभग सारी गठानें शुरू से वेदना हीन होती हैं इसलिए अधिकांश व्यक्ति नासमझी या ऑपरेशन के डर से डॉक्टर के पास नहीं जाते। साधारण गठानें भले ही कैंसर की न हों लेकिन इनका भी इलाज आवश्यक होता है। उपचार के अभाव में ये असाध्य रूप ले लेती हैं, परिणाम स्वरूप उनका उपचार लंबा और जटिल हो जाता है। कैंसर की गठानों का तो शुरूआती अवस्था में इलाज होना और भी जरूरी होता है।

कैंसर का शुरूआती दौर में ही इलाज हो जाए तो मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। आपके शरीर मे कहीं पर भी किसी भी किस्म की गांठ हो। उसके लिए है ये चिकित्सा चाहे किसी भी कारण से हो सफल जरूर होती है। कैंसर मे भी लाभदायक है। आप ये दो चीज पंसारी या आयुर्वेद दवा की दुकान से ले लें।

kachanaar kee chhaal

  • कचनार की छाल
  • गोरखमुंडी

वैसे यह दोनों जड़ी बूटी बेचने वाले से मिल जाती हैं पर यदि कचनार की छाल ताजी ले तो अधिक लाभदायक है। कचनार का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है। इसकी सबसे बड़ी पहचान है सिरे पर से काटा हुआ पत्ता। इसकी शाखा की छाल ले, तने की न ले। उस शाखा (टहनी) की छाल लें जो 1 इंच से 2 इंच तक मोटी हो। बहुत पतली या मोटी टहनी की छाल न लें। गोरखमुंडी का पौधा आसानी से नहीं मिलता इसलिए इसे जड़ी बूटी बेचने वाले से खरीदे ।

कैसे प्रयोग करें Ayurvedic Treatment for Lump

कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सुखी छाल 15 ग्राम) को मोटा मोटा कूट ले। 1 गिलास पानी में उबाले। जब 2 मिनट उबल जाए तब इसमे 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई) डालें। इसे 1 मिनट तक उबलने दें फिर छान ले। हल्का गरम रह जाए तब पी लें। ध्यान दे यह कड़वा है परंतु चमत्कारी है।

गांठ कैसी ही हो, प्रोस्टेट बढ़ी हुई हो, जांघ के पास की गांठ हो, कांख की गांठ हो गले के बाहर की गांठ हो, गर्भाशय की गांठ हो, स्त्री पुरुष के स्तनो मे गांठ हो या टॉन्सिल हो, गले मे थायराइड ग्लैण्ड बढ़ गई हो या छकढडटअ (फैट की गांठ) हो लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती। अधिक लाभ के लिए दिन मे 2 बार ले। लंबे समय तक लेने से ही लाभ होगा। 20-25 दिन तक कोई लाभ नहीं होगा निराश होकर बीच मे न छोड़े।

गांठ के लिए घरेलू उपाए Ayurvedic Treatment for Lump

  • गांठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है। आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल इसी मकसद के लिये दी जाती है जबकि ऐलोपैथी में ओप्रेशन के सिवाय कोई और चारा नहीं है।
  • आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से तथा निर्गुण्डी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 1 से 5 मि.ली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।
  • गेहूं के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गांठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।

फोड़े फुन्सी होने पर Ayurvedic Treatment for Lump

  • अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बांधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी में लाभ होता है।
  • एक चुटकी कालेजीरे को मक्खन के साथ निगलने से या 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से तथा त्रिफला के पानी से घाव धोने से लाभ होता है।
  • सुहागे को पीसकर लगाने से रक्त बहना तुरंत बंद होता है तथा घाव शीघ्र भरता है।

फोड़े से मवाद बहने पर Ayurvedic Treatment for Lump

  • अरण्डी के तेल में आम के पत्तों की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
  • थूहर के पत्तों पर अरण्डी का तेल लगाकर गर्म करके फोड़े पर उल्टा लगायें। इससे सब मवाद निकल जायेगा। घाव को भरने के लिए दो-तीन दिन सीधा लगायें।
  • पीठ का फोड़ा होने पर गेहूं के आटे में नमक तथा पानी डालकर गर्म करके पुल्टिस बनाकर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।

गण्डमाला की गांठें Ayurvedic Treatment for Lump

गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गांठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है। मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जांघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गांठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं। उन गांठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गांठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।

क्रौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है तथा कफवर्धक पदार्थ न खायें।

कांखफोड़ा Ayurvedic Treatment for Lump

कुचले को पानी में बारीक पीसकर थोड़ा गर्म करके उसका लेप करने से या अरण्डी का तेल लगाने से या गुड़, गुग्गल और राई का चूर्ण समान मात्रा में लेकर, पीसकर, थोड़ा पानी मिलाकर, गर्म करके लगाने से कांखफोड़े में लाभ होता है।

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