Azamgarh: 116 साल बाद अमेरिका से अपने पूर्वजों से मिलने आया शख्स, मजदूर बन कर गया था परदेश

Azamgarh: आजमगढ़ रौनापार थाना अंतर्गत मरहा कर्म नाथ पट्टी का एक मामला अब सुर्खियों में बना है। जिसमें सात समुंदर पार अपनी चौथी पीढ़ी से मिलने और अपने पूर्वजों की मिट्टी का महत्व समझते हुए अमेरिका में रहने वाले डेविड कैनन व उनकी पत्नी अपने पूर्वजों और अपनी मिट्टी से मिलने आई। इस मौके पर अपनों को पाकर एक तरफ जहां डेविड ने खुशी जाहिर की तो वहीं डेविड और बहू को पाकर यहां उनके पूर्वज भी खुशियों से झूम उठे।

कैसे पहुंचे अमेरिका

बताया जा रहा है कि 1906 में इनके पूर्वज गिरमिटिया मजदूर बनकर सबसे पहले आजमगढ़ से कोलकता गए। कोलकता से इन्हें पानी की जहाज से मॉरीशस ले जाया गया। डेविड के पूर्वज रामखेलावन पुत्र टहल मौर्य 21 जुलाई 1906 को गिरमिटिया गए थे मजदूर के रुप में जोकि एग्रीमेंट और प्रमाण के साथ मौजूद है। इस एग्रीमेंट में ही रामखेलावन का पूरा एड्रेस और पता लिखा गया था। जिसकी वजह से इनकी खोज वह इनके पूर्वजों तक डेविड पहुंच सके।

अमेरिकी डॉक्टर की मदद से हुई वापसी

इसी क्रम में यह भी बताया गया कि रामखेलावन जब मॉरीशस पहुंचे तो वहां पर उन्होंने विवाह कर लिया और रोजी रोटी के चक्कर में अमेरिका चले गए। रामखेलावन की चौथी पीढ़ी अब अमेरिका में निवास करती है। वहां से भारतवंशी अपने वंशज को खोजते हुए वो अपने घर को पहुंच गए हैं। जानकारी मिली है कि डेविड केलन की मां अमेरिका में 1 डॉक्टर के यहां इलाज के लिए पहुंची थी।

डॉक्टर संयोग से आजमगढ़ के रहने वाले थे। बातचीत के दौरान ही एक-दसरे की जानकारी ली गई। जब उन्हें यह पता चला कि उनके पूर्वज हिंदुस्तान के आजमगढ़ जिले के रहने वाले हैं तो उनकी उत्सुकता और जागृत हुई। उन्होंने लगभग 4 साल का समय बिताकर अपने पूर्वजों और अपने मिट्टी को खोजने में कामयाबी हासिल की। इस मौके पर एक तरफ जहां डेबिट कैनन अपनों से मिलकर बेहद खुशी जाहिर कर रहे हैं। तो यहां के ट्रेडिशनल खाने और पानी की भी तारीफ कर रहे हैं।

मजदूर बन सालों पहले गए सात समंदर पार

साथ ही उनके साथ आए संजय सिंह ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने में यहां से मजदूरों को मजदूरी करने के लिए खेतों में काम करने के लिए ले जाया जाता था। उसी क्रम में इनके पूर्वज पहले मॉरीशस गए मॉरीशस से टोबैगो त्रिनिडाड गए और वहां से यह अमेरिका का सफर कर अपनी चौथी पीढ़ी को ढूंढते हुए हिंदुस्तान आए हैं। जिन्हें आज अपने पूर्वजों से मिलने का अवसर मिला है और यह बहुत ही ऐतिहासिक क्षण है। जिसमें 116 वर्ष बाद बिछड़े दो परिवार के लोग आपस में मिल रहे हैं।

अपनों से मिल फूले नहीं समाएं

अपनों का प्रेम और अपनी मिट्टी का महत्व इस पूरे प्रकरण से देखा जा सकता है। अपनी चौथी पीढ़ी को ढूंढते हुए डेबिट कैनन ने अपनों को पा लिया और उन्हें इस क्षण की उपलब्धि अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में मानते हैं। जिसमें उन्होंने अपने और अपनी मिट्टी अपने वंशजों की धरती को चुनने का मौका मिला। इस पूरे प्रकरण में स्थानीय प्रशासन और पुलिस का भी अहम रोल रहा। जिन्होंने इनकी मदद कर इन्हें रिकॉर्ड मुहैया कराया और मौके पर ले जाकर अपनों से मुलाकात करा।ई जिसको लेकर लोगों में काफी खुशी व्याप्त है।

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Abhinav Tripathi

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