India News (इंडिया न्यूज़),Gransparents: आजकल की बिजी लाइफ स्टाइल की वजह से माता पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण माता पिता को यह डर रहता है कहीं बच्चों में संस्कार की कमीं न रह जाए। यदी आपके घर में बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद है। तो आप इस बात से चिंतिंत रहिए। दादा-दादी और नाना-नानी के आचरण में रहने वाले बच्चे संस्कृति से जुड़े रहते है। घर के बड़े बुजुर्ग बच्चों को सिखाने में लगे रहते है। रीति-रिवाज के बारे में बच्चों को सीखने के लिए मिलता है। दादा-दादी और नाना -नानी बच्चों को त्यौहारों के बारे में बताते है।
यदीं बच्चों के ऊपर बड़े बुजुर्गों का साया रहता है। तो बच्चों के भविष्य के लिए काफी अच्छा है। जीवन में होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में दादा-दादी और नाना नानी बताते रहते है। किस उम्र में कौन सी आदत अच्छी कौन सी बुरी ये सभी बाते बच्चों को बता देते है। ऐसे में बच्चों का भविष्य अंधकार में जाने से बच जाता है।
स्कूल जाने से पहले ही घर में बच्चों की शिक्षा शुरू हो जाती है। जिनमें दाद-दादी अहम रोल निभाते है। स्कूल जाने से पहले घर में ही रहकर दादा-दादी उन्हें जिंदगी के बारे में ज्ञान देते है। घर में रहकर दादा-दादी बच्चों को कहानियां सुनाते है। जिनसे बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
हर चीज समय पर पूरी करके माता- पिता बच्चों को अडियल बना देते है। जोकि उनके भविष्य के लिए सहीं नहीं होता। ऐसे में दादा-दादी ही बच्चों को आत्म नियंत्रण कैसे बने उसकी भी शिक्षा बच्चों को देते है। क्योकि आज के समय में बच्चों में संयह कम देखा जाता है।जो कि उनके भविष्य के लिए सही नहीं है। ऐसे में दादा-दादी ही हैं जो बच्चों को आत्म नियंत्रण की शिक्षा देते है।
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